ओ शनि देव | न्याय, संयम और करुणा के प्रतीक भगवान शनिदेव

ओ शनि देव | न्याय, संयम और करुणा के प्रतीक भगवान शनिदेव

“ओ शनि देव” यह पुकार उस गहन आस्था की आवाज़ है जो हर उस व्यक्ति के हृदय से निकलती है जो जीवन की कठिन राहों पर चल रहा है। भगवान शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है, पर वे उतने ही दयालु और कृपालु भी हैं। वे हमें हमारे कर्मों के परिणामों से परिचित कराते हैं ताकि हम सुधार और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर हों। शनिदेव की भक्ति हमें धैर्य, सत्य और कर्मनिष्ठा का पाठ सिखाती है। जब मन सच्चे भाव से उन्हें पुकारता है तब उनकी कृपा से जीवन में स्थिरता और आत्मबल आता है।

rajeshswari

सुनोगे तुमको तो सुनाऊंगा,
दिल की ये सारी बात,
ओ शनि देव…..

बन के जोगी तुम आये नन्द गांव,
रिद्धि सिद्धि तब बैठ पीपल की छाव,
खुश होकर कृष्ण ने, कोयल बन दर्शन,
धाम बना कैलाश, कष्ट हरे भगवन,
ओ शनि देव…..

श्रद्धा भक्ति से आये जो सिद्ध धाम,
किरपा करे सब पर, होते पूर्ण काम,
करे सेवा कोई तन से जो भी,
पल में धूल जाए पाप, ना होती देरी,
ओ शनि देव…..

आया सजन दर पे, लेकर मन की आस,
सफल करो प्रभु, जीवन की हर सास,
जो भी दर पे आये वो फल पाए,
कुदृष्टि का प्रकोप, पल में हो जाये अलोप,
ओ शनि देव…..

भाव से पूजन की विधि

  1. दिन: शनिवार का दिन शनिदेव की आराधना के लिए श्रेष्ठ है।
  2. व्रत या पूजा: स्नान कर काले वस्त्र धारण करें और घर या मंदिर में शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. दीपदान: सरसों के तेल का दीपक जलाएँ, उसमें सात बत्तियाँ लगाएँ।
  4. मंत्र जप: श्रद्धा से “ॐ शं शनैश्चराय नमः” या “ओ शनि देव” का 108 बार जप करें।
  5. भोग: काले तिल, उड़द या तेल से बने पदार्थ चढ़ाएँ।
  6. सेवा और दान: जरूरतमंदों को तेल, वस्त्र या अन्न का दान करें, इससे शनिदेव की कृपा शीघ्र मिलती है।
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स्मरण से मिलने वाले फल

  • जीवन में आ रहे कष्ट और बाधाएँ धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं।
  • मन और विचारों में स्थिरता और संयम का भाव आता है।
  • कर्मों में सुधार और निर्णय शक्ति का विकास होता है।
  • शनिदेव की कृपा से भय, रोग और असफलता से रक्षा होती है।
  • जीवन में शांति, संतुलन और आत्मविश्वास का संचार होता है।

निष्कर्ष

“ओ शनि देव” एक सच्चे समर्पण की पुकार है जो हमें हमारे कर्मों और जीवन के सत्य से जोड़ती है। शनिदेव दया के सागर हैं जो हमें अनुशासन और भक्ति के मार्ग पर चलना सिखाते हैं। जब हम अपने जीवन में ईमानदारी, धैर्य और सेवा का भाव अपनाते हैं, तब शनिदेव की कृपा सदा हमारे साथ रहती है। उनकी छत्रछाया में रहने वाला भक्त हर कठिनाई में भी स्थिर और प्रकाशमान रहता है।

Shiv murti

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