फागण मेला आया, बाबा बुला रहा, खाटू बुला रहा
फाल्गुन का महीना आते ही भक्तों के हृदय में एक अजीब सी उमंग जग जाती है — क्योंकि यह समय होता है जब “फागण मेला आया, बाबा बुला रहा, खाटू बुला रहा।” श्याम धाम की गलियाँ गुलाल और प्रेम के रंगों से भर जाती हैं। दूर-दूर से लाखों भक्त इस पुकार को सुनकर खाटू नगरी की ओर चल पड़ते हैं। यह मेला केवल रंगों का नहीं, बल्कि उस विश्वास का प्रतीक है जो भक्त और बाबा के बीच अटूट बंधन को दर्शाता है। हर भक्त के कदमों में भक्ति, और हृदय में प्रेम की लहरें दौड़ने लगती हैं।

फागण मेला आया 2
बाबा बुला रहा
खाटू बुला रहा
फागण मेले की मस्ती ऐसी हर कोई आना चाहता 2
किस्मत वाला ही तो बाबा तेरा निशान उठाता
बाबा बुला रहा
खाटू बुला रहा
रीगस से जब पैदल चलता बाबा साथ मे चलता 2
हिम्मत दुगनी हो जाती है ऐसा मुझको लगता
बाबा बुला रहा
खाटू बुला रहा
पहले तोरण द्वार को देखा मैने शिश झुकाया 2
थोड़ा सा जब आगे बढ़ा तो श्याम को दिल मे पाया
बाबा बुला रहा
खाटू बुला रहा
फागण में मेरा श्याम का दर्शन किश्मत वाला पाता
जिस पे किरपा श्याम की होती वो ही खाटू आता
बाबा बुला रहा
खाटू बुला रहा
भाव से पूजन या स्मरण विधि
- दिन: फाल्गुन एकादशी से फाल्गुन पूर्णिमा तक यह पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।
- स्थान: घर में या मंदिर में श्याम बाबा की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएँ।
- सामग्री: अबीर-गुलाल, फूल, मोरपंख, चंदन, धूप, दीपक और खीर का प्रसाद रखें।
- प्रारंभ: “जय श्री श्याम” का 11 बार नाम जप करें।
- पूजन: बाबा को रंग और फूल अर्पित करें, और मन में यह भाव रखें — “हे बाबा, जब आप बुला रहे हैं, तो हमारा जीवन भी आपके चरणों में आ पहुँचा है।”
- आरती करें: श्याम आरती गाएँ और परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें।
- भाव: पूजन के दौरान मन में उल्लास, प्रेम और कृतज्ञता का भाव बनाए रखें।
इस भक्ति से मिलने वाले लाभ
- मन में सकारात्मकता और आत्मिक आनंद का संचार होता है।
- श्याम बाबा की कृपा से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
- परिवार में प्रेम और एकता का वातावरण बनता है।
- आध्यात्मिक शांति और भक्ति में दृढ़ता आती है।
- फाल्गुन मेला का भाव पूरे वर्ष मन को प्रसन्न बनाए रखता है।
निष्कर्ष
“फागण मेला आया, बाबा बुला रहा, खाटू बुला रहा” — यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि हर भक्त की आत्मा की पुकार है। यह पुकार हमें याद दिलाती है कि जब भी श्याम बाबा हमें बुलाते हैं, तो वह केवल धाम में नहीं, बल्कि हमारे हृदय में निवास करने के लिए बुलाते हैं। फाल्गुन के इस पावन पर्व में जब रंगों की बौछार होती है, तो हर कण में भक्ति और हर सांस में आनंद भर जाता है। यह मेला हमें सिखाता है कि सच्चा उत्सव बाहरी नहीं, बल्कि भीतर के प्रेम और विश्वास में बसता है।

