पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोले नाथ
“पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोले नाथ” यह भाव उस गहरी भक्ति और प्रेम का प्रतीक है, जहाँ भक्त अपने ईश्वर के साक्षात दर्शन की कामना करता है। यह गीत उस आस्था को प्रकट करता है कि चाहे भगवान आँखों से दिखाई न दें, पर वे सदैव अपने भक्त के हृदय में विद्यमान रहते हैं। फूलों की पिंडी में छिपे शिवलिंग का यह प्रतीक बताता है कि ईश्वर कभी दूर नहीं होते — बस श्रद्धा की दृष्टि चाहिए। जब मन भक्ति से भर जाता है, तो भोलेनाथ स्वयं अपने भक्त के हृदय में प्रकट हो जाते हैं।

पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ,
दर्शन दे जा भोलेनाथ, दर्शन दे जा भोलेनाथ,
पिंडी फूलों में छुप गयी…..
काय मास देवी पूजे और काय मास भगवान,
काय मास भोले पूजे जाते पूर्ण हो जाए काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ….
चैत मास देवी पूजा बारह मास भगवान,
फागुन में भोले पूजे जाते पूर्ण हो जाएं काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ…..
काय से देवी पूजा और काय से भगवान,
काय से भोले पूजे जाते पूर्ण हो जाए काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ…..
लॉन्ग से देवी पूजे और फूलों से भगवान,
जल चढ़ाई भोले पूजे जाते पूर्ण हो जाएं काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ…..
काय चढ़े देवी पूजा काहे चढ़े भगवान,
काय चढ़े भोले पूजे जाते पूर्ण हो जाएं काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ…..
शेर चढ़े देवी पूजे गरुण चढ़े भगवान,
बैल चढ़े भोले पूजे जाते पूर्ण हो जाएं काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ…..
काहे भोग देवी लगे काहे भोग भगवान,
काहे भोग भोले लगे जाते पूर्ण हो जाएं काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ…..
नारियल भोग देवी लगे लड्डू भोग लगे भगवान,
भांग धतूरा भोले को जाते पूर्ण हो जाए काम,
पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोलेनाथ…..
भोलेनाथ के दर्शन और पूजा की विधि
- सुबह स्नान कर मन को शांत करें और शिवलिंग के सामने दीपक जलाएँ।
- गंगाजल, दूध, बेलपत्र और पुष्प अर्पित करें।
- आँखें बंद कर शिव का ध्यान करें और मन ही मन कहें — “दर्शन दे जा भोलेनाथ।”
- इस पंक्ति को भक्ति से दोहराएँ — “पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोले नाथ।”
- अंत में समस्त विश्व के कल्याण और मन की शांति की प्रार्थना करें।
इस भक्ति के फलस्वरूप
- मन की अशांति और भय दूर होकर शांति का अनुभव होता है।
- भक्ति और श्रद्धा का भाव प्रगाढ़ होता है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आस्था का संचार होता है।
- शिव कृपा से मनोकामनाएँ पूर्ण होने लगती हैं।
- भक्त को आध्यात्मिक शक्ति और आत्मसंतोष की अनुभूति होती है।
निष्कर्ष
“पिंडी फूलों में छुप गयी दर्शन दे जा भोले नाथ” यह भाव केवल शब्द नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच का संवाद है। जब हृदय सच्चे प्रेम से पुकारता है, तो भोलेनाथ अवश्य अपने कृपा-दर्शन देते हैं। यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि भक्ति में धैर्य, विश्वास और प्रेम हो तो ईश्वर स्वयं मार्ग दिखाते हैं। फूलों में छिपे शिवलिंग की तरह, प्रभु हमारे जीवन में भी सदा उपस्थित हैं — बस हमें अपनी श्रद्धा से उन्हें पहचानना है।

