ज़रा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है

ज़रा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है

ज़रा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है यह पंक्ति भक्त और भगवान के बीच की उस मधुरता को दर्शाती है, जहाँ भक्त अपने प्रभु को बस थोड़ा और अपने पास रखने की इच्छा व्यक्त करता है। राम के आने से मन में जो शांति, सुकून और प्रेम का प्रकाश फैलता है, वही भक्त को लोभित करता है कि वह क्षण कुछ और लंबा हो जाए। भगवान राम करुणा, धर्म और प्रेम का प्रतीक हैं, और जब वे मन में ठहरते हैं, तो जीवन की सारी बेचैनियाँ दूर हो जाती हैं। यही भाव इस पंक्ति में गहराई से झलकता है।

rajeshswari

जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है,
अभी हमने जी भर के देखा नही है…

कैसी घडी आज, जीवन की आई,
अपने ही प्राणो की, करते विदाई,
अब ये अयोध्या, अब ये अयोध्या हमारी नहीं है,
अभी हमने जी भर के, देखा नहीं है….

माता कौशल्या की, आँखों के तारे,
दशरथ जी के हो, राज दुलारे,
कभी ये अयोध्या को, भुलाना नहीं है,
अभी हमने जी भर के, देखा नहीं है….

जाओ प्रभु अब, समय हो रहा है,
घरो का उजाला भी, कम हो रहा है,
अँधेरी निशा का, ठिकाना नहीं है,
अभी हमने जी भर के, देखा नहीं है….

जरा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है,
अभी हमने जी भर के, देखा नहीं है……

प्रभु राम को मन में ठहराने की भक्ति-विधि

  1. समय: सुबह सूर्योदय या शाम का शांत समय चुनें।
  2. स्थान: घर के मंदिर या शांत स्थान में दीपक जलाएँ।
  3. प्रारंभ: तीन बार “जय श्रीराम” बोलकर मन को शांत करें।
  4. जप:
    श्रद्धा से धीमे स्वर में कहें—
    “ज़रा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है…”
  5. ध्यान:
    भगवान राम की छवि, उनका आशीर्वाद, उनका स्वरूप मन में बसाएँ।
  6. समापन: प्रभु से कहें— “राम, मेरे मन में सदा विराजें और जीवन को दिशा दें।”
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इस भाव से मिलने वाले लाभ

  • मानसिक शांति और मन में स्थिरता आती है।
  • राम नाम से नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  • भावनात्मक मजबूती और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • कठिन परिस्थितियों में धैर्य और सही सोच मिलती है।
  • घर और मन दोनों में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

निष्कर्ष

“ज़रा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है” — यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि भगवान राम का स्मरण जीवन की हर उलझन को आसान कर देता है। जब हम सच्चे मन से उन्हें पुकारते हैं, तो वे हमारे भीतर प्रेम, साहस और शांति से भर देते हैं। यह भावना बताती है कि भक्त और भगवान का रिश्ता केवल पूजा से नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों से बनता है। राम को मन में बसाने वाला भक्त कभी अकेला नहीं रहता—क्योंकि प्रभु उसके साथ हर कदम पर चल रहे होते हैं।

Shiv murti

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