की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे | प्रभु के नाम में छिपा हर दर्द का उपचार
भक्ति का सबसे सुंदर रूप तब होता है जब भक्त अपने हृदय की पीड़ा को अपने ईश्वर के समक्ष सरल शब्दों में रख देता है। “की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे” यही भाव जगाता है — जब कोई और सुनने वाला नहीं होता, तब राम स्वयं सुनते हैं। यह गीत हमें सिखाता है कि भगवान के दर पर सच्चे मन से की गई पुकार कभी व्यर्थ नहीं जाती। जब श्रद्धा सच्ची हो और हृदय नम्र, तब हर पीड़ा धीरे-धीरे प्रेम और शांति में बदल जाती है।

भजदे ढोल ते छेने सुगना दे वीर दे,
की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे,
धरती नचे अम्बर नचे नच्दे चंद सितारे,
एसी किरपा करती बाबा हो गये वारे न्यारे,
मेले लगदे रहने मेरे रामा पीर दे,
की कहने की कहने सुगना दे वीर दे,
नाम तेरे दी एसी मस्ती सब भगता ते चड गई,
भव सागर विच डूबदी वेह्डी तेरे आसरे तर गई,
जावा बलिहार कि केहने मेरे रामा पीर दे,
की कहने की कहने सुगना दे वीर दे
जो भी आया दर तेरे ते सबना ने तर जाना,
लक्की वांगु नाम तेरे विच रंगिया जिहने वाना,
सोनू तू मन ले कहने मेरे रामा पीर दे,
की कहने की कहने सुगना दे वीर दे
भक्ति से मन की पीड़ा कहने की साधना
- सुबह या शाम शांत वातावरण में दीपक जलाएँ।
- राम नाम का स्मरण करते हुए आँखें बंद करें।
- अपनी मन की पीड़ा या भाव भगवान को समर्पित करें।
- “की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे” पंक्ति को भावपूर्वक दोहराएँ।
- राम के चरणों में प्रणाम करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें।
- नियमित रूप से यह साधना करने से मन हल्का और शांत होता है।
राम स्मरण से मिलने वाले लाभ
- मन का बोझ और चिंता कम होती है।
- राम नाम से आत्मिक शांति और शक्ति मिलती है।
- भक्ति से भावनात्मक संतुलन और स्थिरता आती है।
- जीवन में विश्वास और धैर्य बढ़ता है।
- प्रभु के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना गहरी होती है।
निष्कर्ष
की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि उस अटूट रिश्ते की आवाज़ है जो भक्त और भगवान के बीच होती है। जब हम सच्चे मन से राम को पुकारते हैं, तो वे हमारे हर दर्द को सुनते हैं, भले ही हम शब्दों में व्यक्त न कर पाएं। यह भजन हमें सिखाता है कि हर पीड़ा के पार प्रेम और करुणा का प्रकाश होता है — बस विश्वास बनाए रखो और प्रभु के नाम में शरण लो।

