श्री सलासर बालाजी आरती : भक्ति, सुरक्षा और आशीर्वाद का स्त्रोत
श्री सलासर बालाजी आरती भगवान हनुमान जी की महिमा का वर्णन करती है। इसे पढ़ने या गाने से भक्त का मन शांत और स्थिर होता है। आरती में भगवान बालाजी की वीरता, भक्ति और कृपा का गुणगान होता है। श्रद्धा और भक्ति भाव से आरती करने पर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, साहस और मानसिक शक्ति का संचार होता है। यह आरती घर और मंदिर में भक्तिमय वातावरण लाती है।
Shri Salasar Balaji Arti Lyrics
जयति जय जय बजरंग बाला।
कृपा कर सालासर वाला॥
चैत सुदी पूनम को जन्मे।
अंजनी पवन ख़ुशी मन में ॥
प्रकट भय सुर वानर तन में।
विदित यस विक्रम त्रिभुवन में॥
दूध पीवत स्तन मात के।
नजर गई नभ ओर॥
तब जननी की गोद से पहुंचे।
उदयाचल पर भोर॥
अरुण फल लखि रवि मुख डाला।
कृपा कर सालासर वाला॥
तिमिर भूमण्डल में छाई।
चिबुक पर इन्द्र बज बाए॥
तभी से हनुमत कहलाए।
द्वय हनुमान नाम पाये॥
उस अवसर में रुक गयो।
पवन सर्व उन्चास ॥
इधर हो गयो अन्धकार।
उत रुक्यो विश्व को श्वास॥
भये ब्रह्मादिक बेहाला।
कृपा कर सालासर वाला॥
देव सब आये तुम्हारे आगे।
सकल मिल विनय करन लागे॥
पवन कू भी लाए सागे।
क्रोध सब पवन तना भागे॥
सभी देवता वर दियो।
अरज करी कर जोड़॥
सुनके सबकी अरज गरज।
लखि दिया रवि को छोड़॥
हो गया जगमें उजियाला।
कृपा कर सालासर वाला॥
रहे सुग्रीव पास जाई।
आ गये बनमें रघुराई॥
हरिरावणसीतामाई।
विकलफिरतेदोनों भाई॥
विप्ररूप धरि राम को।
कहा आप सब हाल॥
कपि पति से करवाई मित्रता।
मार दिया कपि बाल॥
दुःख सुग्रीव तना टाला।
कृपा कर सालासर वाला॥
आज्ञा ले रघुपति की धाया।
लंक में सिन्धु लाँघ आया॥
हाल सीता का लख पाया।
मुद्रिका दे बनफल खाया॥
बन विध्वंस दशकंध सुत।
वध कर लंक जलाया॥
चूड़ामणि सन्देश त्रिया का।
दिया राम को आय॥
हुए खुश त्रिभुवन भूपाला ।
कृपा कर सालासर वाला॥
जोड़ कपि दल रघुवर चाला।
कटक हित सिन्धु बांध डाला॥
युद्ध रच दीन्हा विकराला।
कियो राक्षस कुल पैमाला॥
लक्ष्मण को शक्ति लगी।
लायौ गिरी उठाय॥
देई संजीवन लखन जियाये।
रघुवर हर्ष सवाय॥
गरब सब रावन का गाला ।
कृपा कर सालासर वाला॥
रची अहिरावन ने माया।
सोवते राम लखन लाया ॥
बने वहाँ देवी की काया।
करने को अपना चित चाया॥
अहिरावन रावन हत्यौ।
फेर हाथ को हाथ॥
मन्त्र विभीषण पाय आप को।
हो गयो लंका नाथ॥
खुल गया करमा का ताला।
कृपा कर सालासर वाला॥
अयोध्या राम राज्य कीना।
आपको दास बना लीना॥
अतुल बल घृत सिन्दूर दीना।
लसत तन रूप रंग भीना॥
चिरंजीव प्रभु ने कियो।
जग में दियो पुजाय॥
जो कोई निश्चय कर के ध्यावै।
ताकी करो सहाय॥
कष्ट सब भक्तन का टाला।
कृपा कर सालासर वाला॥
भक्तजन चरण कमल सेवे।
जात आय सालासर देवे॥
ध्वजा नारियल भोग देवे।
मनोरथ सिद्धि कर लेवे॥
कारज सारो भक्त के।
सदा करो कल्यान॥
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के।
बालकृष्ण धर ध्यान॥
नाम की जपे सदा माला।
कृपा कर सालासर॥
आरती की विधि
आरती का सही तरीका
- मंगलवार या शनिवार को आरती करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएँ।
- लाल फूल, सिंदूर और भोग अर्पित करें।
- श्रद्धा और भक्ति भाव से आरती का पाठ करें या गाएँ।
- आरती समाप्त होने के बाद हाथ जोड़कर बालाजी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
लाभ
आरती करने से होने वाले लाभ
- भय और नकारात्मकता से रक्षा होती है।
- मानसिक शांति, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- जीवन की बाधाएँ और संकट दूर होते हैं।
- घर और परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- हनुमान जी की कृपा से कार्यों में सफलता मिलती है।
निष्कर्ष
श्री सलासर बालाजी आरती का नियमित पाठ जीवन में साहस, शक्ति और स्थिरता लाता है। श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया पाठ भक्त के मन और घर को पवित्र और शांत बनाता है। बालाजी की कृपा से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सफलता, सुख और संतोष प्राप्त होता है।