मेरे दिल नू करार नहियू आंदा | विरह में भक्ति और प्रभु प्रेम का भावपूर्ण स्वर
“मेरे दिल नू करार नहियू आंदा” — यह पंक्ति एक सच्चे भक्त के हृदय की व्यथा को व्यक्त करती है। जब मन प्रभु के बिना बेचैन होता है और हर सांस में उनका नाम बसता है, तब यह भाव प्रकट होता है। यह भक्ति का वह रूप है जहाँ प्रेम और विरह दोनों एक हो जाते हैं। प्रभु की अनुपस्थिति में बेचैनी, और उनकी याद में उमड़ता प्रेम — यही भक्त का सच्चा अनुभव है। यह भाव सिखाता है कि जब तक मन में प्रभु के लिए तड़प न हो, तब तक भक्ति अधूरी है।

मेरे दिल नू करार नहियू आंदा
तू घर मेरे आजा दातया
मोड़ लया मुख मेथो केडी गलो दातया
छेती छेती आजा हुन किथे डेरे लाये नी
ओ इस झल्ली नू गल नहियू लांदा
तू घर मेरे आजा दातया
मेरे दिल नू करार नहियू आंदा
तू घर मेरे आजा दातया
तेरा दर छड़ हुन केडे दर जावा मैं
दिल वाला हाल हुन किसनु सुनावा मैं
हाल दिल वाला तैनू ही सुनाना
तू घर मेरे आजा दातया
मेरे दिल नू करार नहियू आंदा
तू घर मेरे आजा दातया
तक तक राहा हुन थक गई अंखियां
होएगा दीदार कदो आसा एयो रखियां
हाथ जोड़ दी तेनु मैं बुलावा
तू घर मेरे आज दातया
मेरे दिल नू करार नहियू आंदा
तू घर मेरे आजा दातया
आसा ते मुरादा लेके जोत मैं जगाई ए
मै ता हर पल तेरी करजाई वे
सोणे फूला वाले हार पिरोवा
तू घर मेरे आजा दातया
मेरे दिल नू करार नहियू आंदा
तू घर मेरे आजा दातया
भाव से पूजन या स्मरण विधि
- दिन: सोमवार या शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- स्थान: घर के मंदिर में या शांत स्थान पर दीपक जलाएँ।
- सामग्री: फूल, चंदन, धूप, दीपक, और मनपसंद प्रसाद रखें।
- प्रारंभ: अपने आराध्य का नाम लेकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 11 बार जप करें।
- पूजन: भगवान को फूल अर्पित करते हुए कहें — “हे प्रभु, आपके बिना मेरे दिल को करार नहीं आता, कृपा कर मुझे अपनी उपस्थिति का एहसास दें।”
- आरती करें: श्रद्धा से आरती गाएँ और भक्ति संगीत या भजन में मन लगाएँ।
- समापन: शांत मन से ध्यान करें और प्रभु के प्रेम का अनुभव करें।
भाव से मिलने वाले लाभ
- मन को भक्ति और प्रेम की गहराई का अनुभव होता है।
- विरह की भावना से आत्मा शुद्ध और संवेदनशील बनती है।
- ईश्वर पर विश्वास और समर्पण बढ़ता है।
- मन की व्याकुलता धीरे-धीरे शांति में बदलती है।
- भक्ति जीवन में स्थिरता और दिव्य अनुभूति लाती है।
निष्कर्ष
“मेरे दिल नू करार नहियू आंदा” केवल एक गीत या शब्द नहीं, बल्कि वह भावना है जो ईश्वर के प्रेम में डूबे हृदय से निकलती है। यह सिखाता है कि प्रभु के बिना जीवन अधूरा है, और उनका स्मरण ही सच्ची शांति का मार्ग है। जब मन उनकी याद में तड़पता है, तब वह तड़प ही भक्ति बन जाती है। प्रभु को पुकारने वाला दिल कभी खाली नहीं रहता — क्योंकि वह पुकार अंततः उन्हें हमारे जीवन में ले ही आती है।

