ऐसा तेरा बल है बजरंग | असीम शक्ति और अटूट भक्ति का प्रतीक

ऐसा तेरा बल है बजरंग | असीम शक्ति और अटूट भक्ति का प्रतीक

ऐसा तेरा बल है बजरंग यह पंक्ति भगवान हनुमान जी की अद्वितीय शक्ति और उनके दिव्य साहस का स्मरण कराती है। हनुमान जी का बल केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक शक्ति का भी प्रतीक है। उनका बल करुणा, भक्ति और निष्ठा से उत्पन्न होता है। जब कोई भक्त इस पंक्ति का जप करता है, तो उसके भीतर भी हनुमान जी जैसी निडरता और आत्मविश्वास जागृत होता है। यह भाव हमें याद दिलाता है कि सच्ची शक्ति नम्रता और सेवा में होती है, न कि अहंकार में।

rajeshswari

ऐसा तेरा बल है बजरंग,
कोई जान ना पाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है……..

सालासर में महल तुम्हारा,
मेहंदीपुर में अखाडा है,
भुत प्रेत दुष्टों दानव को,
तुमने पल में पछाड़ा है,
त्रेता से कलयुग तक तुमसा,
त्रेता से कलयुग तक तुमसा,
वीर नहीं हो पाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है……..

संत जनो के हो हितकारी,
और दुष्टों के काल हो तुम,
रामचन्द्र के भक्त सिया के,
सबसे प्यारे लाल हो तुम,
राम से मिलने का माध्यम,
राम से मिलने का माध्यम,
कलयुग में तुम्हे बताया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है……..

ऐसा कौन सा काम है जो,
बजरंगी ना कर पाओगे,
हमको है विश्वास की एक दिन,
राम से हमको मिलाओगे,
ये आशा लेकर के ‘सूरज’,
ये आशा लेकर के ‘सूरज’,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है……..

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ऐसा तेरा बल है बजरंग,
कोई जान ना पाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है,
हो चाहे कोई काम असंभव,
तूने पल में बनाया है……..

भक्ति भाव से जप या भजन करने की विधि

  1. स्थान और समय: मंगलवार या शनिवार को प्रातःकाल या संध्या समय उपयुक्त होता है।
  2. पूजन सामग्री: लाल फूल, दीपक, चोला, सिंदूर और गुड़-चना हनुमान जी को अर्पित करें।
  3. प्रारंभ: तीन बार “जय बजरंगबली” कहें और मन को एकाग्र करें।
  4. भजन या जप: श्रद्धा और उत्साह से “ऐसा तेरा बल है बजरंग” पंक्ति का बार-बार उच्चारण करें या भजन गाएँ।
  5. भावना रखें: मन में यह अनुभव करें कि हनुमान जी का वही बल, वही आत्मविश्वास आपके भीतर भी प्रवाहित हो रहा है।
  6. समापन: अंत में “हनुमान चालीसा” या “बजरंग बाण” का पाठ करें और विनम्रतापूर्वक प्रणाम करें।

इस भक्ति भाव से मिलने वाले लाभ

  • साहस और आत्मबल: हनुमान जी की कृपा से मन में निडरता और दृढ़ता आती है।
  • संकट से मुक्ति: जीवन के कठिन समय में शक्ति और समाधान प्राप्त होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: घर और मन दोनों में उत्साह और भक्ति का प्रकाश फैलता है।
  • सेवा भावना: मनुष्य दूसरों की सहायता और धर्म मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होता है।
  • आध्यात्मिक शक्ति: ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास और आत्मशक्ति का अनुभव होता है।

निष्कर्ष

“ऐसा तेरा बल है बजरंग” — यह पंक्ति केवल एक भजन नहीं, बल्कि श्रद्धा का घोष है। जब हम हनुमान जी का स्मरण करते हैं, तो हमें यह एहसास होता है कि उनकी शक्ति प्रेम, भक्ति और सत्य की सेवा से जन्मी है। जो व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी का नाम लेता है, उसके जीवन में कोई भय, कोई कमजोरी नहीं रह जाती।

Shiv murti

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