राम नाम की लूट है | लूट सके तो लूट

राम नाम की महिमा ऐसी है कि जिन्दगी के हर मोड़ पर यह सहारा बन जाती है। यह पंक्ति — “राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट” — हमें याद दिलाती है कि सच्चा खजाना दौलत नहीं, बल्कि नाम-निरंतर स्मरण है। नाम का जप मन को स्थिर करता, भय मिटाता और जीवन को सरल बनाता है। जब दिल से राम का नाम उठता है तो अंदर एक अटूट शक्ति और शांति का अनुभव होता है। यही कारण है कि संत और साधक नाम को सबसे बड़ा वर मानते आए हैं।

rajeshswari

राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट,
अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएगे छूट….

राम नाम सुखदाई भजन करो भाई,
ये जीवन दो दिन का……..

ये तन है जंगल की लकड़ी,
आग लगे जल जाई भजन करो भाई,
ये जीवन दो दिन का…..

ये तन है कागज की पुड़िया,
हवा चले उड़ जाई भजन करो भाई,
ये जीवन दो दिन का…

ये तन है माटी का ढेला,
बूँद पड़े गल जाई भजन करो भाई,
ये जीवन दो दिन का…

ये तन है फूलों का बगीचा,
धुप पड़े मुरझाई भजन करो भाई,
ये जीवन दो दिन का…

ये तन है कच्ची है हवेली,
पल में टूट जाई भजन करो भाई,
ये जीवन दो दिन का…

ये तन है सपनो की माया,
आँख खुले कुछ नाही भजन करो भाई,
ये जीवन दो दिन का…

विधि कैसे करें यह साधना

  1. समय चुनें: प्रतिदिन सुबह उठकर या शाम को ध्यान-योग्य शांत समय चुनें।
  2. स्थल तैयार करें: साफ जगह पर बैठें — अगर संभव हो तो छोटे पुष्प/दीप और आराध्य की तस्वीर रख लें।
  3. सांसों से शांत हों: 2–3 गहरी साँसें लेकर मन शांत करें।
  4. जप का तरीका:
    • मौन या उच्चारण में “राम” का जप करें — 11, 21 या 108 बार माला से कर सकते हैं।
    • अगर बोले जा रहे हैं तो धीमी और स्पष्ट धुन में कहें: “राम… राम…” ताकि मन जुड़ जाए।
  5. भाव बनाए रखें: हर जप के साथ श्रद्धा और समर्पण का भाव रखें — इसे सिर्फ शब्द न समझें।
  6. अंत में शांति: जप के बाद 1–2 मिनट मौन रहें, अपने दिन के लिए धन्यवाद कहें और काम पर लग जाएँ।
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लाभ नाम-स्मरण से मिलने वाले असर

  • मन की शांति: बेचैनी, चिंता और भय धीरे-धीरे कम होते हैं।
  • एकाग्रता व समझ: पढ़ाई/काम में ध्यान बढ़ता है और निर्णय स्पष्ट होते हैं।
  • आध्यात्मिक सशक्ति: अंदर की कमजोरी बदलकर आत्मविश्वास आता है।
  • रिश्तों में सौहार्द: नाम स्मरण से करुणा और सहनशीलता बढ़ती है, संबंध मधुर होते हैं।
  • जीवन में स्थिरता: उतार-चढ़ाव में भी मन स्थिर रहता है — यही असली दौलत है।

निष्कर्ष

“राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट” कहना इसलिए नहीं कि नाम कोई चोरी है, बल्कि क्योंकि यह सबसे बड़ा अनमोल खजाना है जिसे पाने के लिए किसी बाहरी साधन की जरूरत नहीं। हर किसी के पास यही सरल रास्ता है — एक शब्द, एक स्मरण, और एक सच्चा मन। इसे अपनाइए, रोज़ थोड़ा समय दीजिए, और अनुभव कीजिए कि कैसे जीवन के छोटे-बड़े बोझ हल्के होते हैं। अंततः जो सच्चाई बचती है, वह है नाम और उसके साथ मिलने वाली शांति। जय श्रीराम।

Shiv murti

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