जब मोज़ में भोला आए, डमरू हो मगन बजाए
“जब मोज़ में भोला आए, डमरू हो मगन बजाए” — यह भाव शिव की उस आनंदमय लीला का प्रतीक है जब सृष्टि का नायक स्वयं नृत्य में लीन होता है। भोलेनाथ का डमरू केवल वाद्य नहीं, बल्कि सृष्टि की धड़कन है, जिसकी हर ध्वनि जीवन में गति और उल्लास भर देती है। जब शिव आनंद में तल्लीन होते हैं, तब ब्रह्मांड में ऊर्जा, भक्ति और प्रेम की तरंगें फैल जाती हैं। यह वाक्य हमें यह याद दिलाता है कि जब हम जीवन में उत्साह और श्रद्धा का संगम करते हैं, तो हर पल शिव की मस्ती का अनुभव किया जा सकता है।

जब मोज में भोला आये,
डमरुँ हो मगन बजाये,
खोले जटाएं छाए घटाए
बदरा बरसे जम जम,
भोले रे भोले भोले बम बम…….
जेले के टोले ले संग भोले
नाँचे रे मगन मसाने में,
भंग की तरंग में अपने ही
रंग में मेला लगा ले वीराने में,
धरती आकाश हिलाए
नंदी जब नाद सुनाएं,
अरे कैलाश घुमे रे संसार झूमे रे
बाजे नगाड़े बम बम,
भोले रे भोले भोले बम बम…….
ना कोई रोके रे ना कोई टोके रे,
बम लेहरी बम बम लहरी,
क्या किसको देना है,
क्या किस से लेना है,
शिव जाने बाते ग़हरी,
शिव लीला समझ ना आये,
नित नए ये खेल रचाये,
शिव ही सजाये शिव ही सुनाये,
सांसो की ये सरगम,
भोले रे भोले भोले बम बम…….
जब मोज में भोला आये,
डमरुँ हो मगन बजाये,
खोले जटाएं छाए घटाए
बदरा बरसे जम जम,
भोले रे भोले भोले बम बम…….
आनंदित भाव से शिव-पूजन की विधि
- प्रातः स्नान कर शुभ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल और भस्म चढ़ाएँ।
- बिल्वपत्र, धतूरा, चंदन और सफेद फूल अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- शिव के डमरू का प्रतीक स्वरूप, आरती में घंटी या डमरू की ध्वनि करें।
- शिव आरती या ‘नटराज स्तुति’ का गायन करें और आनंद भाव से नृत्य करें।
शिव की आनंदमय भक्ति के फल
- मन में उमंग, ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।
- तनाव, दुःख और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- शिव-कृपा से कार्यों में सफलता और स्थिरता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति की गहराई प्राप्त होती है।
- जीवन में संगीत, उत्साह और संतुलन का समावेश होता है।
निष्कर्ष
“जब मोज़ में भोला आए, डमरू हो मगन बजाए” यह वाक्य केवल एक भक्ति भाव नहीं, बल्कि जीवन के उत्सव का संदेश है। यह हमें सिखाता है कि जब मन शिव की मस्ती में डूब जाता है, तब हर चिंता और बंधन समाप्त हो जाते हैं। शिव का डमरू हमें याद दिलाता है कि जीवन का हर स्वर लयबद्ध और आनंदमय होना चाहिए। इसलिए, हर दिन थोड़ी देर भक्ति की मस्ती में डूबो और महसूस करो — भोला जब मोज़ में आए, तो सृष्टि भी नृत्य करने लगती है।

