जब भक्त बुलाते हैं हरि दौड़ के आते हैं
“जब भक्त बुलाते हैं हरि दौड़ के आते हैं” यह पंक्ति हमें भक्ति की उस अद्भुत शक्ति का एहसास कराती है जहाँ प्रेम और विश्वास से ईश्वर स्वयं अपने भक्त की पुकार पर तत्पर हो जाते हैं। यह भाव हमें बताता है कि भगवान दूर नहीं, हमारे मन के भीतर ही निवास करते हैं — बस उन्हें सच्चे दिल से पुकारने की जरूरत है। जब आत्मा विनम्र होकर भक्ति के सुर में रच जाती है, तो हर कठिनाई में प्रभु की उपस्थिति स्वयं महसूस होती है। यही भक्ति का चमत्कार है, जो जीवन को प्रकाश और शांति से भर देता है।

जब भक्त बुलाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ ॥
वो तो दीन और दुःखीओं को ॥
आ के गले लगाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
द्रोपदी ने जब, उन्हें पुकारा, दौड़े दौड़े आ गए ।
भरी सभा में, चीर बढ़ा के, उसकी लाज बचा गए ॥
वो बहुत दयालु हैँ, वो दया के सागर हैँ,
वो चीर बढ़ाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
अर्जुन ने जब, उन्हें पुकारा, सार्थी बनके आ गए ।
गीता का, उपदेश सुना के, उसका भरम मिटा गए ॥
वो ज्ञान सिखाते हैँ, वो भरम मिटाते हैँ,
वो गले लगाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
धन्ने ने जब, उन्हें पुकारा, ठाकुर बनके आ गए ।
पत्थरों में, दर्श दिखा के, प्रेम का भोग लगा गए ॥
वो दर्श दिखाते हैँ, वो हल चलाते हैँ,
वो मान बढ़ाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
मित्र सुद्दामा, द्वारे आए, दौड़े दौड़े आ गए ।
दो मुठी, सत्तू के बदले, उसका महल बना गए ॥
वो फ़र्ज़ निभाते हैँ, वो गले लगाते हैँ,
वो महल बनाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ,
जब भक्त बुलाते हैँ…
सच्चे मन से प्रभु को स्मरण करने की विधि
- समय: प्रातःकाल सूर्योदय के समय या संध्या आरती के बाद।
- स्थान: घर के पूजास्थल या किसी शांत वातावरण में।
- सामग्री: दीपक, धूप, फूल, जल, तुलसीपत्र और प्रसाद।
- पूजन क्रम:
- दीपक जलाकर भगवान विष्णु, श्रीराम या श्रीकृष्ण का ध्यान करें।
- अपने दोनों हाथ जोड़कर कहें — “हे हरि, मैं सच्चे मन से आपको पुकारता हूँ, मेरी रक्षा करें।”
- मन में “हरे राम हरे कृष्ण” या “श्रीराम जय राम जय जय राम” का 108 बार जप करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद बाँटें।
- भाव: पूजा के दौरान अपने मन को पूरी तरह भक्तिभाव में डुबो दें, और विश्वास रखें कि आपकी पुकार प्रभु तक अवश्य पहुँचेगी।
प्रभु स्मरण से प्राप्त होने वाले शुभ फल
- मन में विश्वास, साहस और आत्मबल की वृद्धि होती है।
- नकारात्मक विचार और भय दूर होकर मानसिक शांति मिलती है।
- कठिन समय में मार्गदर्शन और सहायता का अनुभव होता है।
- भक्ति और आध्यात्मिक जागृति बढ़ती है।
- जीवन में आशा, संतोष और ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव स्थिर होता है।
निष्कर्ष
“जब भक्त बुलाते हैं हरि दौड़ के आते हैं” यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि भगवान हर उस दिल में निवास करते हैं जो सच्चे भाव से उन्हें पुकारता है। ईश्वर को पाने के लिए किसी लंबी साधना की आवश्यकता नहीं, बस एक निर्मल हृदय और अटूट विश्वास चाहिए। जब मनुष्य पूरी निष्ठा से “हरि” को पुकारता है, तो ईश्वर स्वयं उसके जीवन में उतर आते हैं — मार्ग दिखाने, रक्षा करने और आशीर्वाद देने के लिए।

