काहे इतनी देर लगाई आजा रे | प्रेम, तड़प और भगवान के बुलावे का मधुर भाव

काहे इतनी देर लगाई आजा रे | प्रेम, तड़प और भगवान के बुलावे का मधुर भाव

“काहे इतनी देर लगाई आजा रे” — यह पंक्ति एक भक्त के उस मासूम भाव को प्रकट करती है जहाँ वह अपने प्रभु को जल्दी बुलाना चाहता है। भक्ति का यह रूप बहुत ही निराला है, जहाँ प्रतीक्षा भी प्रेम बन जाती है। जब मन दुखी, अकेला या थका होता है, तब भक्त को बस अपने आराध्य के आने की उम्मीद ही सहारा देती है। यह पंक्ति उस आत्मीय रिश्‍ते का संकेत है जहाँ भक्त भगवान को अपना सबसे निकट का साथी मानकर पुकारता है। इसी तड़प में छुपा होता है सच्चा प्रेम और पूर्ण विश्वास।

rajeshswari

काहे इतनी देर लगाई, आजा रे हनुमान आजा,
आजा रे हनुमान आजा, ओ अंजनी के लाल आजा,
लगी शक्ति पड़ा नीचे भाई, आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगाईं, आजा रे हनुमान आजा…..

बैध सुषेन ने भेद बताया, संजीवन से प्राण बचेंगे,
मुश्किल बहुत है लाना इसको, कैसे काम आसान बनेंगे,
बोले पवनपुत्र मैं ले आता, आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगाईं, आजा रे हनुमान आजा………

द्रोणागिरी को चले पवनसुत, राक्षस ने एक पछाड़ लगाई,
संजीवन को कैसे जानू, हनुमान को समझ ना आई,
अब क्या मैं करूँ रघुराई, आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगाईं, आजा रे हनुमान आजा…….

नर वानर सब सोच में बैठे, राम बिलखते नीर बहाते,
संजीवन हनुमान ले आये तो, भाई लखन के प्राण बचाते,
आज भोर ना हो जाये भाई,आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगाईं, आजा रे हनुमान आजा……

समय काल का पहिया चलता, राम की आँख से अश्रु बहते,
अपनी माँ के इकलौते तुम, लखन लाल से भैया कहते,
ऐसे रुदन करे रघुराई, आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगायी, आजा रे हनुमान आजा……

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इतने में एक पर्वत चलकर, रणभूमि में उड़ता आता,
देखो पवन सुत हाथ मे लेकर, द्रोणागिरी को लेकर आता,
तब लक्ष्मण जान बचाई, आया रे हनुमान आया,
मेरे लखन जैसे तुम भाई, आजा रे हनुमान आजा……

काहे इतनी देर लगाई, आजा रे हनुमान आजा,
आजा रे हनुमान आजा, ओ अंजनी के लाल आजा,
लगी शक्ति पड़ा नीचे भाई, आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगायी, आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगाईं, आजा रे हनुमान आजा…..

भाव से भक्ति करने की विधि

  1. समय: सुबह या संध्या का शांत समय चुनें।
  2. स्थान: घर के मंदिर या किसी शांत कोने में दीपक जलाएँ।
  3. सामग्री: फूल, धूप, दीपक, प्रसाद और अपने आराध्य का चित्र।
  4. प्रारंभ: आँखें बंद करके मन में यह भावना रखें कि आप अपने प्रभु को प्यार से बुला रहे हैं।
  5. जप/भक्ति:
    धीरे-धीरे यह पंक्ति कहें —
    “काहे इतनी देर लगाई आजा रे…”
    चाहें तो कोई प्रिय भजन भी गुनगुनाएँ।
  6. समापन: भगवान से प्रेमपूर्वक कहें —
    “मेरे भीतर प्रकट होकर मुझे मार्ग दिखाएँ।”

इस भक्ति भाव के लाभ

  • मन की बेचैनी और अकेलापन दूर होता है।
  • प्रभु के प्रति प्रेम और निकटता बढ़ती है।
  • मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन मिलता है।
  • भरोसा और आत्मविश्वास मजबूत होता है।
  • जीवन में सकारात्मकता और आशा का संचार होता है।

निष्कर्ष

“काहे इतनी देर लगाई आजा रे” — यह पंक्ति भक्त और भगवान के मधुर संबंध की गहराई को दर्शाती है। जब भक्त ईमानदारी और प्रेम से प्रभु को बुलाता है, तो वे अवश्य उसकी पुकार सुनते हैं। भक्ति का यह रूप मन से सभी बोझ उतार देता है और भीतर एक कोमल शांति छोड़ जाता है। ईश्वर भले देर से आते दिखें, पर उनके आगमन का हर क्षण दिव्यता और कृपा का उपहार होता है। इस भाव से की गई पुकार सच्चे प्रेम को जन्म देती है और जीवन को एक नई रोशनी प्रदान करती है।

Shiv murti

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