तू बिगड़ी सबकी सँवारे | ईश्वर की कृपा, भरोसा और जीवन सुधारने की शक्ति
“तू बिगड़ी सबकी सँवारे” — यह पंक्ति उस गहरी श्रद्धा को दर्शाती है जो हर भक्त के मन में अपने ईश्वर के लिए होती है। जब इंसान जीवन की उलझनों, परेशानियों और अटकी हुई स्थितियों से घिर जाता है, तो उसे यही भरोसा संभालता है कि ऊपर वाला हर संकट को मौका बना सकता है। यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि कोई हालत कितनी भी कठिन क्यों न हो, ईश्वर की कृपा सब बदल सकती है। उनके दर पर जाकर हर टूटे मन को राहत मिलती है और हर बिगड़ी राह किसी न किसी रूप में सुधरने लगती है।

तू बिगड़ी सबकी सँवारे,
आये हम तेरे द्वारे,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
तू बिगड़ी सबकी सँवारे,
आये हम तेरे द्वारे,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम…..
धन दिया निर्धन को तूने,
बल दिया निर्बल को तूने,
साईदेवा साईदेवा,
हो भक्तों के दुःख दर्द मिटाये,
सुने अंगना पल में झुलाये,
साईदेवा साईदेवा,
है खाली हमारी झोली,
तू भर दे साई,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
तू बिगड़ी सबकी सँवारे,
आये हम तेरे द्वारे,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
ॐ साईराम,
ॐ साईराम……
गुमराहों को राह दिखाई,
नास्तिकों में श्रद्धा जगाई,
साईदेवा साईदेवा,
गिरतों को है तुने संभाला,
सबका साई तू रखवाला,
साईदेवा साईदेवा,
जो करे भक्ति साई तेरी,
मुक्ति वो पाए,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
तू बिगड़ी सबकी सँवारे,
आये हम तेरे द्वारे,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम,
साईराम साईराम…….
मनोकामना हेतु सरल विधि
- समय: सुबह का शांत समय या संध्या सबसे अनुकूल है।
- स्थान: घर के मंदिर या ईश्वर की तस्वीर के सामने दीपक जलाएँ।
- सामग्री: फूल, दीपक, धूप और जल।
- प्रारंभ: तीन गहरी साँसें लेकर मन को शांत करें।
- भक्ति:
श्रद्धा से कहें—
“तू बिगड़ी सबकी सँवारे…”
इसके बाद ईश्वर का नाम जप या छोटा सा भजन करें। - समापन: अपने जीवन की उलझनों को मन में रखते हुए ईश्वर से मार्गदर्शन की प्रार्थना करें।
इस भावना से मिलने वाले लाभ
- मन में आशा और सकारात्मकता बढ़ती है।
- मानसिक तनाव कम होता है और धैर्य बढ़ता है।
- कठिन परिस्थितियों में समाधान मिलने लगता है।
- भक्ति से मन बलवान और स्थिर होता है।
- जीवन में अच्छे अवसर और अनुकूलता बढ़ती है।
निष्कर्ष
“तू बिगड़ी सबकी सँवारे” — यह पंक्ति हमें विश्वास की सबसे ऊँची शक्ति से मिलाती है। यह भरोसा दिलाती है कि चाहे स्थिति कितनी भी उलझी हो, ईश्वर हमारे साथ हैं और वे सबकुछ ठीक कर सकते हैं। यह भाव मन को शांत करता है, आत्मा को मजबूत बनाता है और जीवन में आगे बढ़ने की ऊर्जा देता है। सच में, जो भक्त सच्चे मन से ईश्वर को पुकारता है, उसकी बिगड़ी राहें भी अपनी जगह सही हो ही जाती हैं।

