देईपुर गांव में स्वच्छ भारत मिशन का आरआरसी केंद्र बना खंडहर, उपेक्षा से जूझ रही योजना
चोलापुर (जनवार्ता): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत देईपुर गाँव में बना रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) आज उपेक्षा और बदहाली का प्रतीक बन गया है। लाखों रुपये की लागत से निर्मित इस केंद्र की दयनीय दशा योजना की जमीनी हकीकत को उजागर करती है।केंद्र की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। परिसर का टीन शेड गायब है, मुख्य दरवाजा टूटा पड़ा है और चारों ओर ऊंची घास-झाड़ियों ने पूरे ढाँचे को घेर लिया है, जिससे यह एक खंडहर जैसा दिखता है।जहाँ सरकार ने गाँवों को स्वच्छ रखने के लिए कूड़ा उठाने वाली गाड़ी उपलब्ध कराई थी, वहीं कूड़े के पृथक्करण और प्रसंस्करण के लिए बना यह केंद्र पूरी तरह से बंद और उपेक्षित पड़ा है। केंद्र में सक्रियता के बजाय सन्नाटा छाया हुआ है।स्थानीय निवासियों का कहना है कि अधिकारियों की उदासीनता और रखरखाव के अभाव के कारण यह योजना यहाँ विफल हो गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्वच्छ भारत मिशन की योजनाओं को केवल खानापूर्ति और दिखावे के तौर पर लागू किया जा रहा है, जिसका जीता-जागता उदाहरण देईपुर का यह आरआरसी केंद्र है।इस संबंध में एडीओ पंचायत प्रभारी आनंद सील अंबेडकर ने जनवार्ता को बताया कि ग्राम सचिव से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्र पर पूर्व में चोरी की घटना हुई थी, जिसकी सूचना खण्ड विकास अधिकारी चोलापुर व स्थानीय थाने को दी गई थी। वहीं, खण्ड विकास अधिकारी शिव नारायण सिंह से इस मामले पर टिप्पणी लेने के लिए उनका फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।


