नगर निगम के टैक्स नोटिस पर संतों का विरोध जारी
मठ–मंदिरों को करमुक्त करने और काशी–अयोध्या–मथुरा को विशेष दर्जा देने की मांग
वाराणसी (जनवार्ता) | वाराणसी नगर निगम द्वारा मठों और मंदिरों को टैक्स जमा करने अथवा कुर्की की चेतावनी वाला नोटिस भेजे जाने के बाद साधु-संतों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। इस मुद्दे को लेकर वैष्णव संप्रदाय के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष जगद्गुरु बालकदेवाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में पातालपुरी मठ में बुधवार को संतों की बैठक आयोजित की गई।


बैठक में संतों ने एक स्वर में मांग की कि अयोध्या, मथुरा और काशी को विशेष धार्मिक दर्जा दिया जाए तथा इन धार्मिक नगरों के सभी मठों और मंदिरों को हर प्रकार के टैक्स से पूर्ण रूप से मुक्त किया जाए। संतों ने टैक्स और कुर्की का नोटिस जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की।
जगद्गुरु बालकदेवाचार्य ने कहा कि मठ और मंदिर समाज को शांति, अनुशासन और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देते हैं। ये संस्थान बिना किसी सरकारी सहायता के वैदिक संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक अनुष्ठानों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे में नगर निगम द्वारा टैक्स वसूली को अनुचित बताया गया।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि सरकार सनातन परंपराओं के संरक्षण के लिए ठोस कदम नहीं उठा सकती, तो कम से कम धार्मिक नगरों में स्थित मठों और मंदिरों पर कर लगाने की नीति पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
संतों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो वे सार्वजनिक विरोध और आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होंगे। संतों का कहना है कि नगर निगम की इस कार्रवाई से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और अब यह मामला जनआंदोलन का रूप ले सकता है।
बैठक में प्रमुख रूप से पशुपतेश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर बाल योगी जी महाराज नोएडा के महंत जगदीश्वर दास महाराज महंत श्रवण दास जी महंत राघव दास महंत सियाराम तथा अवध बिहारी दास समेत अन्य शामिल रहे ।

