डाकघरों में शुरू हुई बागी बलिया सत्तू की बिक्री

डाकघरों में शुरू हुई बागी बलिया सत्तू की बिक्री

पहले ही दिन बिके 2500 पैकेट बिके

वाराणसी (जनवार्ता) । डाकघरों के जरिये अब बागी बलिया का मशहूर सत्तू लोगों तक पहुँच सकेगा। मंगलवार को वाराणसी कैंट प्रधान डाकघर में पोस्टमास्टर जनरल (पीएमजी) कर्नल विनोद कुमार ने सत्तू बिक्री की शुरुआत की। उन्होंने खुद पहला पैकेट खरीदकर इस सेवा का शुभारंभ किया। पहले ही दिन 2500 से अधिक पैकेट बिक गए।

कर्नल विनोद ने बताया कि डाकघरों के माध्यम से बलिया से सीधे उपभोक्ताओं तक सत्तू पहुँचाया जाएगा। इसकी कीमत मात्र 75 रुपये प्रति आधा किलो तय की गई है। उन्होंने कहा कि बचपन से सुनी कहानियों में सत्तू का ज़िक्र रहा है और यहाँ आकर इसके महत्व को देखकर उन्होंने इसे आम जनता तक पहुँचाने का निर्णय लिया।

फिलहाल यह सुविधा वाराणसी के अलावा चंदौली, मुगलसराय, जौनपुर, बलिया, नौगढ़ और गाज़ीपुर सहित बनारस परिक्षेत्र के 100 डाकघरों में शुरू की गई है। सफल होने पर इसे पूरे प्रदेश और फिर देशभर के डाकघरों तक बढ़ाया जाएगा।

कार्यक्रम में सहायक निदेशक परमानंद ने कहा कि डाककर्मियों और आम जनता दोनों के लिए यह सुविधा लाभकारी होगी। वहीं निधि उद्योग के प्रतिनिधि सौरभ ने जानकारी दी कि बलिया का सत्तू छोटे ‘मलाई चने’ से तैयार किया जाता है, जिसकी खास पहचान है।

कर्नल विनोद ने आगे बताया कि पारंपरिक सत्तू के अलावा भविष्य में गुलाब, केसर और चॉकलेट फ्लेवर वाले सत्तू को भी लाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कदम प्रधानमंत्री के ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है।

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इस अवसर पर सुश्री पल्लवी ने कहा कि छात्रों और नई पीढ़ी को सत्तू की पौष्टिकता से अवगत कराने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। सुश्री पूजा ने इसे तार्किक और राजस्व बढ़ाने वाला कदम बताया। बलिया और वाराणसी के अधीक्षक डाकघर अधिकारियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

गौरतलब है कि 20 अगस्त 1942 को चित्तू पांडेय के नेतृत्व में बलिया ने खुद को आज़ाद घोषित किया था। ऐसे ऐतिहासिक अवसर से पहले डाकघरों में सत्तू की बिक्री शुरू होना विशेष महत्व रखता है।

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