अत्याधुनिक ‘स्पोर ट्रैप’ डिवाइस से सब्जियों में फफूंद रोगों पर लगेगा लगाम
आईआईवीआर-वाराणसी और मुंबई की कंपनी ने किया एमओयू, एआई से चलेगी स्कैन किट टेक्नोलॉजी

वाराणसी (जनवार्ता) । भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी ने सब्जियों में होने वाले वायुजनित फफूंद जनित रोगों का पहले से पता लगाने और उनका वैज्ञानिक प्रबंधन करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। संस्थान ने मुंबई स्थित कंपनी ए.बी.एम. नॉलेजवेयर प्राइवेट लिमिटेड के साथ अत्याधुनिक ‘स्पोर ट्रैप डिवाइस’ में इस्तेमाल होने वाली स्कैन किट टेक्नोलॉजी के परीक्षण एवं सत्यापन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
समारोह में आईआईवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार और ए.बी.एम. नॉलेजवेयर की ओर से श्री अन्वय भूषण पंडित ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर पादप संरक्षण प्रभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ए.एन. सिंह, एमेरिटस वैज्ञानिक डॉ. पी.एम. सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. के.के. पांडेय तथा वैज्ञानिक डॉ. श्वेता कुमारी उपस्थित रहे।
यह स्पोर ट्रैप डिवाइस हवा में मौजूद फफूंद के बीजाणुओं (स्पोर्स) को पकड़कर उनकी गिनती और पहचान करता है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह रोग के स्पष्ट लक्षण दिखाई देने से बहुत पहले ही बीमारी का पता लगा लेता है। डिवाइस में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का एकीकरण होने से वास्तविक समय में डेटा विश्लेषण, रोग पूर्वानुमान और सटीक सलाह मिल सकेगी।
संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तकनीक से किसान सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही सही समय और सही मात्रा में फफूंदनाशक का छिड़काव करेंगे। इससे न केवल अनावश्यक खर्च कम होगा, बल्कि अंधाधुंध कीटनाशक प्रयोग से होने वाला पर्यावरण, मिट्टी और जल स्रोतों का प्रदूषण भी काफी हद तक रुकेगा।
डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “यह तकनीक इको-फ्रेंडली और लागत-प्रभावी है। परीक्षण सफल रहने पर हम इसे शीघ्र ही किसानों तक पहुँचाया जाएगा। इससे सब्जियों की उपज बढ़ेगी, फसल हानि कम होगी और किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।”
परीक्षण पूर्ण होने के बाद यह तकनीक देश भर के सब्जी उत्पादक किसानों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी का यह मॉडल भारतीय कृषि में एआई-संचालित नवाचार को नई दिशा देने वाला सिद्ध होगा।

