बनारस में बिजली कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन
गिरीश पाण्डेय की धर्मपत्नी के निधन पर शोक सभा

वाराणसी (जनवार्ता) : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मियों ने शुक्रवार को निजीकरण के विरोध में प्रांतव्यापी प्रदर्शन के दौरान जोरदार विरोध जताया। कर्मचारियों ने लखनऊ इलेक्ट्रिक सप्लाई एडमिनिस्ट्रेशन (लेसा) में लागू वर्टिकल प्रणाली को उपभोक्ताओं की सेवा के लिए हानिकारक बताते हुए इसे पूरी तरह खारिज कर दिया। साथ ही, विद्युत मजदूर पंचायत, उत्तर प्रदेश के प्रदेश महामंत्री गिरीश पाण्डेय की धर्मपत्नी के असामयिक निधन पर भेलूपुर, पहड़िया, कज्जाकपुरा, मड़ौली, सिगरा आदि कार्यालयों पर बिजली कर्मियों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने दीपावाली के अवसर पर उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के बाद प्रदेश के सभी जनपदों में विरोध प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति ने संकल्प लिया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ सामूहिक जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता।

वक्ताओं ने बताया कि लेसा में वर्टिकल प्रणाली लागू कर लगभग 8000 पदों को समाप्त किया जा रहा है, जिसमें टीजी-2 के 1350, जूनियर इंजीनियर्स के 287 और अभियंताओं के 45 पद शामिल हैं। इससे लखनऊ की बिजली व्यवस्था में अव्यवस्था की आशंका है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि यह प्रणाली निजी कंपनियों के लिए मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से लागू की जा रही है। इसके अलावा, लगभग 6000 संविदा कर्मियों को हटाने का निर्णय अमानवीय और बिजली व्यवस्था को चरमराने वाला बताया गया।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि पश्चिमांचल और मध्यांचल विद्युत वितरण निगमों के तहत बड़े शहरों में भी वर्टिकल प्रणाली लागू कर अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी के तहत निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी है। देश के अन्य शहरों में इस प्रणाली से कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ा है।
विरोध सभा को ओ.पी. सिंह, राजेंद्र सिंह, अंकुर पाण्डेय, जिउतलाल, कृष्णा सिंह, ई. नेहा, गीता देवी, रमाकांत, राजेश्वर सिंह, संजय गौतम, धर्मेंद्र यादव, धनपाल सिंह, पंकज यादव, नागेंद्र कुमार, अरुण कुमार, प्रवीण सिंह, अरविंद कौशनन्दन, बृजेश यादव आदि ने संबोधित किया ।

