बिजली निजीकरण के विरोध में 281वें दिन बनारस में जोरदार प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 281वें दिन गुरुवार को बनारस के बिजलीकर्मियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान वक्ताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित “समर्थ उत्तर प्रदेश – विकसित उत्तर प्रदेश 2047” विजन पोर्टल का स्वागत करते हुए कहा कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बिजली का सार्वजनिक क्षेत्र में बने रहना बेहद आवश्यक है।
सभा को संबोधित करते हुए ई. मायाशंकर तिवारी ने कहा कि बिजली निजी कंपनियों के हवाले होते ही किसानों, गरीबों और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र घाटा उठाकर भी सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराता है, जबकि निजी क्षेत्र इसे व्यवसाय मानकर ऊँचे दाम वसूलेगा।
अंकुर पांडेय ने कहा कि संघर्ष समिति विजन 2047 पोर्टल पर अपना विस्तृत प्रस्ताव भेजेगी। समिति ने पाँच प्रमुख बिंदुओं पर तर्क रखते हुए कहा कि निजीकरण से महंगी बिजली, किसानों और गरीब उपभोक्ताओं पर बोझ, महंगे करारों का दबाव, दामों में बेतहाशा वृद्धि और साइबर सुरक्षा जैसे गंभीर खतरे पैदा होंगे।
पंकज यादव ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के लिए आवश्यक है कि बिजली को सेवा मानकर सार्वजनिक क्षेत्र में रखा जाए, ताकि सबको सुलभ और सुरक्षित बिजली मिल सके।
सभा में ई. मायाशंकर तिवारी, अंकुर पांडेय, आर.के. श्रीवास्तव, शिवम उपाध्याय, कृष्णा सिंह, अभिषेक यादव, रमेश कुमार, कमलेश यादव, अरुण कुमार, ओमप्रकाश विश्वकर्मा, सतीश चंद्र पांडेय, पी.एन. चक्रधारी, पंकज यादव, बृजेश यादव, रोहित कुमार, सूरज रावत, विकास ठाकुर, प्रवीण कुमार, बृज सोनकर और संजय गौतम ने विचार व्यक्त किए।