बनारस में बिजली निजीकरण के खिलाफ 386वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 386वें दिन गुरुवार को वाराणसी सहित प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने जमकर प्रदर्शन किया।


प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लोकसभा में पारित सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (शांति) बिल, 2025 देश की न्यूक्लियर सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर कर खतरनाक न्यूक्लियर क्षेत्र को बड़े पैमाने पर निजी और विदेशी कंपनियों के लिए खोल रहा है।

समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओईईई), केंद्रीय ट्रेड यूनियनें और संयुक्त किसान मोर्चा मिलकर 23 दिसंबर को इस बिल के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा एटॉमिक एनर्जी एक्ट न्यूक्लियर गतिविधियों पर सख्त सार्वजनिक नियंत्रण सुनिश्चित करता था, लेकिन शांति बिल इसे लाभ-केंद्रित लाइसेंसिंग से बदलकर निजी ऑपरेटरों को प्रमुख हिस्से सौंप रहा है। साथ ही सिविल लाइबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट को निरस्त कर सप्लायर्स की दायित्व मुक्ति दे रहा है, जिससे दुर्घटना की स्थिति में पूरा बोझ जनता और सरकार पर पड़ेगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि बिजली निजीकरण और ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल, 2025 के खिलाफ एनसीसीओईईई, ट्रेड यूनियनें और किसान मोर्चा जनवरी-फरवरी 2026 में देशभर में बड़े सम्मेलन और रैलियां आयोजित करेंगे।
सभा को ई.एस.के. सिंह, नवदीप सैनी, अंकुर पाण्डेय, मदन श्रीवास्तव, योगेंद्र कुमार, सुशांत सिंह, मनोज यादव, धनपाल सिंह, सरोज भूषण और कृपाल सिंह आदि ने संबोधित किया।

