नैनो उर्वरक के प्रभावी उपयोग पर सफल कार्यशाला

नैनो उर्वरक के प्रभावी उपयोग पर सफल कार्यशाला

वाराणसी (जनवार्ता) : वाराणसी स्थित भारतीय चावल अनुसंधान केंद्र (अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र) में बुधवार को प्रगतिशील किसानों के लिए नैनो उर्वरक आधारित एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पारंपरिक उर्वरकों के साथ-साथ नैनो उर्वरकों की उपयोगिता, लाभ और वैज्ञानिक छिड़काव विधियों से अवगत कराना था, ताकि फसल उत्पादकता बढ़ाई जा सके और उर्वरक उपयोग की दक्षता में सुधार हो।

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कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में इफको के राज्य विपणन प्रबंधक यतेंद्र कुमार और डॉ. आर. के. नायक उपस्थित रहे। उन्होंने किसानों को पारंपरिक तथा नैनो उर्वरकों के महत्व, उनकी कार्यप्रणाली और फसल उत्पादकता में योगदान पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।  यतेंद्र कुमार ने नैनो उर्वरक के सही उपयोग एवं छिड़काव विधि पर गहन चर्चा की।

डॉ. आर. के. नायक ने इफको की भूमिका, उसकी उपलब्धियों और नैनो उर्वरक सहित नए उत्पादों की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए केंद्र में नैनो उर्वरक आधारित प्रदर्शनों के सकारात्मक परिणाम साझा किए। वहीं, वैज्ञानिक डॉ. पीनिसेल्वम ने इफको के फील्ड प्रदर्शनों और उनके प्रभावों पर विस्तार से बताया।

कार्यशाला में लगभग 70 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया, जिनमें कई ने नैनो उर्वरक के उपयोग से प्राप्त अपने सकारात्मक अनुभव भी साझा किए। प्रमुख प्रतिभागियों में सुशील पटेल, कमलेश, राजेश पांडेय, बरसाती बिंद, रामलाल वर्मा, राम रक्षा पटेल और प्रेम चंद्र पटेल आदि शामिल रहे।

आयोजन में वैज्ञानिक डॉ. आशीष श्रीवास्तव और इफको के डॉ. विवेक दीक्षित का विशेष योगदान रहा। इस तरह की कार्यशालाएं किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने और सतत कृषि की दिशा में प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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Shiv murti

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