केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय इम्फाल के कुलपति के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने किया आईआईवीआर का दौरा
वाराणसी (जनवार्ता)। केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल के कुलपति प्रोफेसर अनुपम मिश्रा के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल में विश्वविद्यालय की डायरेक्टर ऑफ इंस्ट्रक्शन प्रोफेसर इंदिरा सारंथएन, उद्यानिकी महाविद्यालय सिक्किम के डीन प्रोफेसर अजय कुमार पाण्डेय, कृषि महाविद्यालय इम्फाल की डीन नंदिनी देवी, प्रोफेसर लोकेश मिश्रा तथा सुरभि शोध संस्थान, वाराणसी के प्रतिनिधि शामिल थे।


संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रमुख अनुसंधान, शिक्षा एवं विस्तार गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आईआईवीआर सब्जी फसलों की उन्नत किस्मों का विकास, बीज उत्पादन एवं वाणिज्यिकरण, संरक्षित खेती, जैविक खेती, फसल सुरक्षा, ग्राफ्टिंग तकनीक तथा कृषक उद्यमिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।

प्रतिनिधिमंडल ने संस्थान की प्रयोगशालाओं, संरक्षित खेती इकाइयों तथा प्रायोगिक खेतों का भ्रमण किया। बैठक में संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी उपलब्धियों एवं नवीन तकनीकों पर प्रकाश डाला। सुरभि शोध संस्थान के प्रतिनिधियों ने अनुसंधान एवं विस्तार के माध्यम से किसानों तक तकनीक पहुंचाने के विचार साझा किए।
कुलपति प्रोफेसर अनुपम मिश्रा ने प्राकृतिक खेती, अल्पदोहित सब्जियों के संरक्षण, पोषक तत्वों की उपलब्धता, सब्जियों के पैकेजिंग मटेरियल तथा हानिकारक रसायनों के अवशेषों पर शोध की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सब्जी फसलों में पोषक तत्वों से भरपूर किस्मों का विकास समय की मांग है तथा वैज्ञानिकों को ऐसी उत्पादन पद्धतियां किसानों तक पहुंचानी चाहिए जिनसे सब्जियों में कृषि रसायनों की मात्रा न्यूनतम हो। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों में गुणवत्ता युक्त सब्जी बीज की कमी के कारण कम उत्पादन की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि आईआईवीआर इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
दोनों संस्थानों के बीच संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम, बीज उत्पादन तथा तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा हुई। दौरे के अंत में कुलपति एवं अन्य सदस्यों ने आईआईवीआर के कार्यों की सराहना की तथा आपसी सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार दुबे ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. ए.एन. सिंह ने किया।

