लोकसभा चुनावों से पहले घटेगी पेट्रोल-डीजल की कीमत? क्या है…

लोकसभा चुनावों से पहले घटेगी पेट्रोल-डीजल की कीमत? क्या है…
ख़बर को शेयर करे

नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल के दाम घटाने का कोई प्रस्ताव सामने नहीं है। यह बात कही है ऑयल मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने। पिछले साल सितंबर में 94 डॉलर प्रति बैरल तक जाने वाला क्रूड ऑयल अब 78 डॉलर के आसपास है और लोकसभा चुनाव भी करीब है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन सरकार की ओर से मनाही आ गई। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार किसी दुविधा में है? किन वजहों से अभी प्राइस कट नहीं किया जा रहा? पिछले साल सितंबर में ब्रेंट क्रूड 94 डॉलर प्रति बैरल पर चला गया था। यह नवंबर 2022 के बाद इसका सबसे ऊंचा स्तर था। फिर नवंबर 2023 में रूस सहित तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC+ ने तय किया कि 2024 की पहली तिमाही के लिए वे उत्पादन घटाएंगे। OPEC+की दुनिया के तेल उत्पादन में 40 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है। उत्पादन 22 लाख बैरल प्रतिदिन घटाने का ऐलान इस इरादे से किया गया ताकि दाम बढ़ सके। लेकिन दाम चढ़े नहीं, गिर गए। चीन सहित दुनिया की इकनॉमिक ग्रोथ और घटने के डर के साथ ही अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ने के चलते ऐसा हुआ।

ओपेक प्लस की ओर से प्रॉडक्शन कट जनवरी में शुरू होने वाला है। इस बीच अमेरिका और ओपेक से बाहर के देशों ने उत्पादन बढ़ा दिया। यह अतिरिक्त उत्पादन आने वाले दिनों में ओपेक के प्रॉडक्शन कट की भरपाई करने से भी अधिक होगा, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। इसका असर भी दिख रहा है। चार महीने पहले जो ऑयल फ्यूचर्स 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब था, वह 20% नीचे आ गया है। वैसे भी ओपेक प्लस की ओर से प्रॉडक्शन कट असल में उतना होगा नहीं, क्योंकि कई सदस्य देश पहले ही उत्पादन इतना घटा चुके हैं कि अब और कमी उनके खजाने को हिला देगी। इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी का अनुमान है कि असल कमी 5 लाख बैरल प्रतिदिन के आसपास रह सकती है।

इसे भी पढ़े   Navratri 2023: विंध्याचल में दूसरे दिन मां ब्रह्म चारिणी की पूजा, उमड़ा भक्तों का सैलाब

लेकिन क्रूड सप्लाई पर इजरायल-हमास जंग का साया पड़ गया है। हमास समर्थक यमन के हूती आतंकवादी लाल सागर इलाके में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। उस रूट से करीब 8 पर्सेंट ग्लोबल LNG कार्गो गुजरता है। प्रतिदिन लगभग 80 लाख बैरल क्रूड वहां से ढोया जाता रहा है। काफी मालवाहक जहाज स्वेज नहर के बजाय लंबा रूट ले रहे हैं। हालांकि पश्चिम एशिया से भारत जो क्रूड इंपोर्ट करता है, उसका बड़ा हिस्सा स्वेज नहर वाले रूट से नहीं आता है। जहां तक रूस से आने वाले तेल की बात है, तो ईरान और रूस का जो समीकरण है, उसे देखते हुए इसे निशाना बनाने की गुंजाइश कम है।

क्या चुनाव से पहले घट सकता है दाम?
मोटे तौर पर क्रूड ऑयल अगर 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहे तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए रिटेल प्राइस घटाने की गुंजाइश बन जाती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार हालात पर नजर रखे हुए है। दुविधा स्वेज नहर संकट के चलते बनी है। सरकार राजस्व पर आंच नहीं आने देना चाहती है, लेकिन आम चुनाव और करीब आने पर पेट्रोल-डीजल का दाम घटाया जा सकता है।

क्या महंगाई और राजस्व की चिंता है?
पेट्रोल-डीजल के दाम का महंगाई पर सीधा असर पड़ता है। आरबीआई का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई दर 5.4 प्रतिशत रहेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने लोकसभा में कहा था कि वैश्विक घटनाक्रम और मौसम का मिजाज बिगड़ने पर महंगाई कुछ परेशान कर सकती है, लेकिन मोटे तौर पर इन्फ्लेशन स्टेबल दिख रही है।

इसे भी पढ़े   रोजाना पीएं हल्दी वाला पानी,बढ़ता वजन होगा कंट्रोल,जोड़ों के दर्द में भी मिलेगी राहत

पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 में क्रूड और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर एक्साइज ड्यूटी और सेस सहित तमाम तरह के टैक्स से केंद्र सरकार को 3,70,326 करोड़ रुपये मिले थे। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में केंद्र को 1,57,233 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनीवस का कहना है,‘सरकार पेट्रोल-डीजल का दाम कम नहीं करेगी क्योंकि कंजम्पशन पर उसे फिक्स्ड रेवेन्यू मिलता है। जब क्रूड के दाम चढ़े थे, तब वह बोझ ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने उठाया था। जहां तक सरकारी खजाने की बात है तो विनिवेश से पैसा जुटाया जा सकता है, लेकिन उसमें कुछ भी पक्का नहीं है, लिहाजा सेफ यही है कि दाम जस के तस रखे जाएं, क्योंकि पब्लिक को आदत हो चुकी है। महंगाई अब स्टेबल है। इसलिए भी दाम घटाना जरूरी नहीं लग रहा होगा।’

वरिष्ठ अर्थशास्त्री अभिजीत मुखोपाध्याय का कहना है, ‘जब महंगाई ज्यादा थी,तब राहत दी जा सकती थी। लेकिन रेवेन्यू घटने और फिस्कल डेफिसिट बढ़ने की चिंता में दाम नहीं घटाए गए। इकॉनमी की ग्रोथ मुख्य रूप से कंजम्पशन और सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर से हो रही है। इस एक्सपेंडिचर के लिए पेट्रोल-डीजल से मिलने वाला टैक्स रेवेन्यू काफी अहम है। दाम नहीं घटाने के पीछे यह एक बड़ी वजह है। लेकिन रूस से ज्यादा तेल आए और स्वेज नहर संकट घटे तो चुनाव से पहले प्राइस कट हो सकता है।’


ख़बर को शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *