Karwa chauth: करवा चौथ पर चांद और चांदी की पूजा का है खास महत्व
नई दिल्ली। करवा चौथ एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है,जिसे मुख्य रूप से पतिव्रता पत्नियों द्वारा अपने पतियों की दीर्घायु और सुरक्षा की कामना के लिए मनाया जाता है। सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं,जिसमें वे पूरे दिन खाना और पानी नहीं लेती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार,यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन चांद की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है और चांद देखने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं। इस दिन व्रती विशेष तरह से तैयार होकर पूजा-अर्चना करती हैं और चांद की पूजा करने से पहले पानी नहीं पीती हैं।
चांद का महत्व
चांद इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब चांद आसमान में प्रकट होता है,महिला चांद को सीधा नहीं देखती,बल्कि एक छलनी के माध्यम से देखती है। चांद का दर्शन करने के बाद उसी छलनी के प्रयोग से वह अपने पति का चेहरा देखती है। इसके बाद पति अपने हाथों से व्रती को पानी पीलाकर व्रत तोड़ते हैं। चांद यहां पर पति के जीवन की दीर्घायु और उनके साथ जुड़े अनवरत प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, चांद का इस त्योहार पर महत्व अत्यधिक है।
चांदी की पूजा
करवा चौथ पर चांदी (सिल्वर) की पूजा का भी खास महत्व है। कई बार पतियों द्वारा चांदी के उपहार जैसे कि चूड़ी,कान की बाली आदि दिए जाते हैं। चांदी को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। चांदी को धन और मन से संबंधित माना जाता है। इस पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है। चांदी की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और किसी प्रकार की परेशानियां भी दूर होती हैं। शुक्र और चंद्रमा के मजबूत होने पर भी इस दिन विशेष ध्यान दिया जाता है। यदि आपके वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की समस्या है,तो इस दिन शुक्र और चंद्रमा की पूजा से लाभ होता है। इसके अलावा,चांदी की पूजा से धनिक लाभ और जीवन में सामान्यत: सुख-समृद्धि आती है।