बढ़ती कीमतों और कमरतोड़ महंगाई का असर, भारतीय परिवार खरीद रहे फूड प्रोडक्ट्स के छोटे पैक और पाउच

बढ़ती कीमतों और कमरतोड़ महंगाई का असर, भारतीय परिवार खरीद रहे फूड प्रोडक्ट्स के छोटे पैक और पाउच
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नई दिल्ली। सरकारी आंकड़ों में भले ही महंगाई दर में कमी आई हो। लेकिन आम उपभोक्ताओं से पूछिए तो पता लगेगा किस कदर महंगाई उनकी जेब और बचत पर डाका डाल रहा है। ऐसे में कमरतोड़ महंगाई से सामना करने के लिए भारतीय परिवार जरुरी वस्तुओं के बड़े पैकेट की जगह छोटे पैकेज और पाउच खरीदने लगे हैं। बाजार में लोगों के खर्च करने के तौर तरीकों और आदतों में बदलाव देखा जा रहा है।

महंगे टमाटर-अदरक का विकल्प
भारतीय परिवार कैसे महंगाई का सामना कर रहे हैं इसका सबसे बड़ा उदाहरण टमाटर है। रिटेल मार्केट में टमाटर 160 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है। ऐसे में आम लोग टमाटर खरीदने के बजाए टोमाटो प्यूरी के छोटे पैकेट खरीदने लगे हैं। 200 ग्राम का टोमाटो प्यूरी का पैक केवल 25 रुपये में मिलता है। अदरक 400 रुपये किलो तक मिल रहा है। तो अदरक खरीदने की बजाए उसके पेस्ट के छोटे पैक खरीद रहे हैं जिससे बचत की जा सके। जीरा की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है और भाव 550 रुपये से सीधा 800 रुपये किलो तक जा पहुंचा है। ऐसे में जीरा पाउडर के छोटे पैके से लेकर खुले बाजार से कम मात्रा में जीरा पाउडर खरीद रहे हैं।

छोटा पैक,दाम ज्यादा
अरहर दाल की कीमतों में भी तेजी उछाल देखने को मिल रहा है। अरहर दाल 150 रुपये से लेकर 200 रुपये किलो तक मिल रहा है। ऐसे में भारतीय परिवार 1 किलो की जगह 500 ग्राम वाला अरहर दाल का पैकेट खरीद रहे हैं। पौष्टिक आहार के रूप में दाल का बेहद महत्व है। वहीं एफएमसीजी कंपनियां छोटे पैकेट या पाउच का वजन घटाकर पुरानी कीमत या फिर दाम बढ़ाकर भी अपना माल बेच रही हैं जिसे लेकर राजनीति हमला भी हो रहा है। कांग्रेस की सोशल मीडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि गुपचुप तरीके से लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। जरुरी सामानों के वजन को घटाकर दाम बढ़ाये जा रहे हैं।

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छोटे पैकेज की बढ़ी मांग
बिजॉम के एक रिपोर्ट के मुताबिक छोटे पैकेज की मांग में मई 2023 में जबरदस्त तेजी आई है। मई 2023 में, मई 2022 के मुकाबले ब्रांडेड कमोडिटी के छोटे पैकेट की मांग में 23 फीसदी का उछाल आया है। अपनी गाढ़ी कमाई और बचत को महंगाई से बचाने के लिए उपभोक्ताओं को छोटे पैकेट और पाउच की तरफ रूख करना पड़ रहा है जिससे कमरतोड़ महंगाई से वे खुद को बचा सकें।


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