मिशन चंद्रयान-3 के आर्किटेक्ट से,IIT मद्रास के पासआउट;ISRO के टॉप मोस्ट साइंटिस्ट
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान 3 मिशन को लॉन्च करने के लिए तैयार है। इसरो चंद्रयान-3 को जुलाई के दूसरे हफ्ते में चंद्रमा पर उतारने वाला है। इसरो के इस प्रोजेक्ट की चर्चा चारों ओर तेजी से हो रही है। भारत विज्ञान के क्षेत्र में जब ऊंचाइयों की बुलंदी पर बैठा है तो ये भी जानना जरूरी है कि आखिर चंद्रयान का आर्किटेक्ट कौन है?
चंद्रयान का आर्किटेक्ट कौन?
14 जुलाई को लॉन्च होगा चंद्रयान-3
डार्क साइड ऑफ द मून पर उतरेगा चंद्रयान-3
देश में हर कोई चंद्रयान की सफलता से गर्वांवित महसूस करता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे के आर्किटेक्ट कौन हैं? दरअसल मिशन चंद्रयान को हकीकत में बदलने वाले जादूगर ISRO के वैज्ञानिक पी वीरमुथुवेल हैं। उन्होंने ही चंद्रयान के मिशन को सफलता में बदला।
कौन हैं ISRO के वैज्ञानिक पी वीरमुथुवेल?
इसरो के वैज्ञानिक वीरमुथुवेल तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले हैं। वीरमुथुवेल इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। वो चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट के ऑर्किटेक्ट हैं। ये प्रोजेक्ट उनके ही दिमाग की उपज मानी जा रही है।
इससे पहले चंद्रयान-2 का प्रोजेक्ट एम वनिता संभाल रही थीं। लेकिन इसकी लैंडिंग में उन्हें सफलता नहीं मिली,जिसके बाद वीरमुथुवेल ने इसकी जिम्मेदारी ली है। 7 सितंबर को चंद्रयान -2 लैंडर का चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग फेल हो गया। ये विफलता इसरो के लिए एक बड़ा झटका था। वीरमुथुवेल ने IIT मद्रास से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है।
चंद्रयान-3 के लॉन्च की तारीख में बदलाव
जानकारी के अनुसार चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले लॉन्चिंग की तारीख 13 जुलाई की थी। इसरो के ट्विटर हैंडल से इसे लेकर एक ट्वीट भी किया गया। इसमें लिखा था, LVM3-M4/चंद्रयान-3 मिशन: अब लॉन्च को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर SDSC, श्रीहरिकोटा से किया जाएगा।
डार्क साइड ऑफ द मून पर उतरेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 अपनी चंद्र यात्रा के दौरान डार्क साइड ऑफ द मून की भी छानबीन करेगा। इसके लिए चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र विशेष रुचि का विषय है, क्योंकि चंद्रमा का अंधेरे वाला यह पक्ष जिसे डार्क साइड ऑफ द मून कहते हैं,इस क्षेत्र में पानी की संभावित उपस्थिति के भी अनुमान हैं।
चंद्रमा पृथ्वी की तरह गोलाकार है और नीचे से हम इसका केवल एक पक्ष ही देखते हैं। कहा जाता है कि किसी ने भी तथाकथित डार्क साइड ऑफ द मून को नहीं देखा है। इस गोलार्ध को चंद्रमा का सुदूर भाग नाम दिया गया है,यह वास्तव में इतना अंधेरा नहीं है। अंधेरे शब्द का एक अन्य अर्थ अज्ञात,मतलब जिसे ढूंढा न जा सका भी होता है,क्योंकि हमारे इतिहास के अधिकांश भाग में मानव जाति के लिए दूर का भाग अंधकारमय था।