अदालत पहुंचे महंत,बोले शिवलिंग के स्नान,शृंगार और पूजा का अधिकार हमें दें

अदालत पहुंचे महंत,बोले शिवलिंग के स्नान,शृंगार और पूजा का अधिकार हमें दें
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वाराणसी। वाराणसी के मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी विवाद पर आज से जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट सुनवाई करेगी। बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों के अधिवक्ता कोर्ट पहुंच गए हैं और मामले की सुनवाई दोपहर दो बजे के बाद हो सकती है। कोर्ट में DGC सिविल के प्रार्थना पत्र के अलावा हिंदू पक्ष और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दाखिल की गई आपत्तियों पर भी बहस होगी।

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी सोमवार को जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग के स्नान, भोग-राग, शृंगार और पूजापाठ का अधिकार उन्हें दिया जाए। उन्होंने कहा कि हम न्यायिक तरीके से अपने भगवान विश्वेश्वर की पूजा का अधिकार मांगने आए हैं।

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मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने बताया कि यह कहना मुश्किल है कि कितने बजे से सुनवाई होगी। पहले जज बेल पर सुनवाई करते हैं। फिर वह हम लोगों को कॉल करेंगे। ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई के समय को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष अभी आश्वस्त नहीं हैं। दोनों पक्षों का कहना है कि जिला जज पहले बेल एप्लिकेशन पर सुनवाई करते हैं। संभावना इस बात की ज्यादा है कि सुनवाई दोपहर दो बजे से हो। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने कहा कि हम लोग तैयार हैं। कोर्ट जब कॉल कर लेगी हम पेश हो जाएंगे।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता- अधिवक्ता विष्णु जैन
मां श्रृंगार गौरी प्रकरण की वादिनी महिलाओं के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता है। विष्णु जैन ने बताया कि वर्ष 1937 में दीन मोहम्मद के केस में 15 लोगों ने इस बात की गवाही दी थी कि वहां पूजा होती थी जो वर्ष 1942 तक हुई। इसलिए वह एक्ट ज्ञानवापी प्रकरण में प्रभावी नहीं होगा। यही तथ्य हम अदालत के सामने भी रखेंगे।

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कोर्ट पहले तय करे कि मामला चलने योग्य है या नहीं- वकील अभय यादव
कोर्ट में यह भी तय होगा कि ज्ञानवापी प्रकरण में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 लागू होता है या नहीं। संभावना यह भी है कि एडवोकेट कमिश्नर की टीम द्वारा किए गए ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की रिपोर्ट पर भी जल्द ही चर्चा शुरू हो सकती है। सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि पहले यह तय किया जाए कि मामला चलने योग्य है या नहीं?

रिपोर्ट से कुछ भी लीक नहीं हुआ- विशाल सिंह
ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट पर कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष सहायक आयुक्त अधिवक्ता विशाल सिंह ने कहा कि आज जिला न्यायालय में फाइल कुछ पल में आएगी। जिला न्यायालय के न्यायाधीश के द्वारा मामले की सुनवाई की जाएगी। न्यायालय का जो भी आदेश होगा, वह हमें स्वीकार्य होगा। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट निष्पक्ष है। मैंने दोनों पक्षों की ओर से कही गई हर बात का जिक्र किया है। रिपोर्ट से कुछ भी लीक नहीं हुआ है और यह दायर होने तक गोपनीय है। अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद, यह सार्वजनिक डोमेन में आता है।

ज्ञानवापी लौटाने के लिए हिंदू सेना दाखिल करेगी परिवाद
ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर आज वाराणसी की कोर्ट में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता परिवाद दाखिल करेंगे। विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भी ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में खुद को वादी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। विष्णु गुप्ता ने बताया कि हमारे प्रार्थना पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब ज्ञानवापी सर्वे के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर दावा पेश करते हुए उसे हिंदू पक्ष को वापस देने के लिए प्रार्थना पत्र देंगे।

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उधर,ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका सोमवार को दायर हुई है। यह याचिका BJP नेता और एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय ने डाली है। उन्होंने मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज करने की मांग की है। कहा है कि मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद वैध नहीं होती, ऐसा इस्लामिक सिद्धांत है।

जिला जज के पास सुनवाई पूरी करने के लिए 8 हफ्ते का समय
बीते 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने ज्ञानवापी केस को वाराणसी जिला जज की कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा था कि मामला हमारे पास जरूर है, लेकिन पहले इसे वाराणसी जिला कोर्ट में सुना जाए।

कोर्ट ने कहा कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट से ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित पत्रावली जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई। बता दें कि 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तीन बड़ी बातें कही थीं।

तीसरा-सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला ऑर्डर अब लागू नहीं। यानी ये तीनों निर्देश अगले 8 हफ्तों तक लागू रहेंगे। इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा।

पूर्व महंत डॉ.कुलपति तिवारी दाखिल करेंगे याचिका
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा है कि वह ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की पूजा के लिए सोमवार को कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा ‘ज्ञानवापी कभी मस्जिद नहीं थी, वह अनादि काल से मंदिर है। अब जबकि हमारे आराध्य देव मिल गए हैं, तो हम उनकी नियमित पूजा करना चाहते हैं। हमारे प्रभु रोजाना स्नान,शृंगार और भोग-राग के बगैर रहें, यह कितनी ही कष्टदायक बात है। इसलिए हम अपने भोलेनाथ की पूजा की अनुमति देने के लिए कोर्ट से गुहार लगाएंगे’।

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शृंगार गौरी और शिवलिंग की पूजा का अधिकार हमें मिले : शैलेंद्र पाठक
वर्ष 1991 में ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर केस दाखिल करने वाले पंडित सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास का कहना है कि मां शृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार उन्हें मिले। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के दक्षिणी तहखाने की चाबी आज भी उनके और प्रशासन के पास है। तहखाना वर्ष में दो बार रामायण के नवाह्न पाठ के लिए खुलता है। तहखाने की वसीयत वर्ष 2000 में उनके नाना ने उनके और जैनेंद्र कुमार पाठक व्यास के नाम से की थी। फिर वर्ष 2014 में उनके नाना के भाई चंद्रनाथ व्यास ने भी वसीयत की थी। हमारी मांग यह भी है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण हो।


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