एसबीआई का होम, कार और पर्सनल लोन हुआ महंगा,बढ़ाई कर्ज की ब्‍याज दरें

एसबीआई का होम, कार और पर्सनल लोन हुआ महंगा,बढ़ाई कर्ज की ब्‍याज दरें
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नई दिल्‍ली। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने अपने लोन की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। बैंक ने बताया है कि कुछ खास अवधि के लोन पर एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्‍ट ऑफ फंड बेस्‍ड लेंडिंग रेट) को 0.05% तक बढ़ाया गया है। बैंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, एक साल के एमसीएलआर में 0.05% की बढ़ोतरी की गई है। शुक्रवार से यह दर 9% हो गई है। एक साल का एमसीएलआर घर खरीदने जैसे लंबी अवधि के लोन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

हाल ही में एसबीआई ने दूसरी बार एमसीएलआर में बढ़ोतरी की है। बैंकों के बीच ग्राहकों को लुभाने की होड़ मची है। इससे डिपॉजिट की लागत बढ़ रही है। इसके चलते कर्ज की ब्याज दरों में और बढ़ोतरी होने की आशंका है।

बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी के मुताबिक, बैंक का 42% लोन एमसीएलआर पर आधारित है। बाकी लोन बाहरी बेंचमार्क से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट कहा कि बैंक ग्राहकों को डिपॉजिट पर ज्‍यादा ब्याज देकर नहीं लुभाएगा क्योंकि ब्याज दरें पहले ही अपने चरम पर हैं।

एसबीआई ने तीन महीने और छह महीने के एमसीएलआर में भी बढ़ोतरी की है। हालांकि, ओवरनाइट, एक महीने, दो साल और तीन साल की अवधि के लिए एमसीएलआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

क्‍या है एमसीएलआर?
आसान शब्दों में समझें तो एमसीएलआर वो न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर कोई भी बैंक या कर्जदाता आपको लोन दे सकता है। कोई भी बैंक एमसीएलआर से कम ब्याज दर पर लोन नहीं दे सकता। हालांकि, कुछ मामलों में छूट दी जा सकती है। लेकिन, उसके लिए आरबीआई की अनुमति जरूरी होती है।

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एमसीएलआर को लागू करने के पीछे उद्देश्य बेस रेट प्रणाली की कमियों को दूर करना और उन लोगों को राहत देना था जो लोन लेना चाहते हैं। इसमें होम लोन भी शामिल है। इससे लोन लेने वालों को आरबीआई की ओर से घटाई गई ब्याज दरों का फायदा मिलता है। अप्रैल 2016 में बेस रेट प्रणाली को हटाकर एमसीएलआर को लागू किया गया था। इसका मकसद मौद्रिक नीति के प्रभाव को बेहतर बनाना और ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना था।

कैसे पड़ेगा कर्ज लेने वालों पर असर?
एमसीएलआर का सीधा संबंध बैंकों की रेपो रेट और फंड की लागत से होता है। इसलिए, रेपो रेट में किसी भी तरह के बदलाव का असर आपके होम लोन की ब्याज दर पर भी पड़ता है। अगर कोई बैंक एमसीएलआर में कमी करता है तो आपके होम लोन की ब्याज दर भी कम हो जाती है। इससे आपकी ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन लोन की अवधि पर जरूर असर पड़ेगा।


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