मेरठ: दहेज हत्या मामले में दो क्षेत्राधिकारियों की लापरवाही पर वारंट जारी
मेरठ । पल्लवपुरम क्षेत्र में दर्ज एक दहेज हत्या के मामले में जांच अधिकारी के रूप में तैनात रहे दो पुलिस अधिकारियों, सीओ शुचिता सिंह और प्रकाशचन्द्र अग्रवाल के खिलाफ अदालत ने नॉन-बेलेबल वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी कर दिया है। एडीजे-2 अदालत ने 2024 के इस केस की सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारियों की अनुपस्थिति पर कड़ी नाराजगी जाहिर की, क्योंकि वे पक्ष रखने के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए।

यह मामला मेरठ के पल्लवपुरम थाना क्षेत्र में दर्ज एक दहेज हत्या की घटना से जुड़ा है, जो 2024 में सामने आया था। पीड़िता की शादी के कुछ महीनों बाद ही ससुराल पक्ष द्वारा दहेज की मांग पूरी न होने पर उसकी संदिग्ध मौत हो गई थी। मायके वालों ने पति, सास-ससुर सहित ससुराल पक्ष पर हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच के दौरान सीओ शुचिता सिंह और प्रकाशचन्द्र अग्रवाल को विवेचना अधिकारी (IO) नियुक्त किया गया था।
हालांकि, जांच प्रक्रिया में देरी और अपूर्ण रिपोर्ट के कारण मामला अदालत पहुंचा। एडीजे-2 अदालत में हालिया सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारियों को पक्ष रखने के लिए समन जारी किया गया था, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। अदालत ने उनकी इस लापरवाही को गंभीर बताते हुए NBW जारी कर दिया। वर्तमान में प्रकाशचन्द्र अग्रवाल दौराला थाने में CO के पद पर तैनात हैं, जो अदालत से महज 5 किलोमीटर दूर है। शुचिता सिंह भी मेरठ जिले में ही सेवा दे रही हैं।
अदालत ने अधिकारियों की अनुपस्थिति पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी जांच में गंभीरता नहीं दिखा रहे, जो न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है। एनबीडब्ल्यू जारी होने के बाद पुलिस को दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है। एसएसपी मेरठ ने मामले को संज्ञान में लेते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। पीड़ित परिवार ने भी कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा कि इससे न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी है।
मेरठ जिले में दहेज से जुड़ी घटनाएं चिंताजनक रूप से बढ़ रही हैं। इस साल अक्टूबर में सरूरपुर थाना क्षेत्र में वर्षा नाम की युवती की दहेज हत्या के मामले में पति और ससुर को गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह, किठौर क्षेत्र में नीलू और बुशरा जैसी घटनाओं ने समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता की जरूरत पर जोर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाई जाए तो ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सकता है।
यह मामला पुलिस महकमे में हड़कंप मचा रहा है। दोनों अधिकारियों के NBW पर अमल के बाद विभागीय स्तर पर कार्रवाई की संभावना है। पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि वे मामले को जल्द सुलझाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

