गुजरात के इलेक्शन में आप के आने से दिलचस्प हुई जंग
गुजरात | इन दिनों पूरे देश की नजर गुजरात विधानसभा चुनाव पर टिकी हुईं हैं। पीएम मोदी का गृह राज्य होने के कारण यहां का हर चुनाव अहम होता है। भले ही पीएम मोदी चुनावी मैदान में नहीं हैं, लेकिन बैनर-पोस्टर से लेकर हार्डिंग तक में मोदी की छवि ही नजर आ रही है। लेकिन डायमंड सिटी सूरत में चुनावी माहौल शांत नजर आ रहा है। 2017 के चुनाव में यहां सीधी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच थी, लेकिन आम आदमी पार्टी की एंट्री ने इस बार मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। आप की एंट्री ने भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी है। ऐसा पहली बार होगा जब खुद पीएम मोदी जिले की पाटीदार बहुल सीटों पर अपनी बड़ी सभा करते नजर आएंगे। जबकि दूसरी तरफ पांच सीटों पर आम आदमी पार्टी दमखम के साथ मैदान में उतरी है। पार्टी को उम्मीद है कि वे यहां भाजपा को करारी शिकस्त दे सकती है। वहीं पूरे सूरत में कांग्रेस के उम्मीदवार बजट की कमी से जूझते नजर आ रहे हैं। 16 में से केवल एकाध सीट पर ही पार्टी जीत का दम भरते हुए नजर आ रही है।
सूरत को कर्मभूमि बनाने वाले हिंदी भाषी हमेशा सत्ताधारी भाजपा के वोट बैंक रहे है। नोटबंदी, जीएसटी जैसे फैसलों के बाद भी हिंदी भाषी वोटरों ने सूरत में भाजपा से दूरी नहीं बनाई। हर बार की तरह इस बार भी भाजपा ने किसी भी हिंदी भाषी को अपनी पार्टी से मैदान में नहीं उतारा है। इसके बावजूद यह वर्ग भाजपा के साथ खड़ा है। एक तरफ भाजपा जहां सूरत में बसे यूपी, एमपी, बिहार और हरियाणा के मतदाताओं को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ वराछा विधानसभा सीट के जरिए भाजपा कहीं न कहीं पाटीदार गढ़ में सेंध लगती हुई नजर आ रही है। क्योंकि यहां आम आदमी पार्टी की सक्रियता ज्यादा है। यहां से पार्टी के सबसे ज्यादा 27 पार्षद पिछले वर्ष महानगर पालिका चुनाव जीते थे। यह सीट भाजपा के हाथ से निकल नहीं जाए, इसलिए 27 नवंबर को मोदी पहली बार पीएम बनने के बाद यहां प्रचार और सभा के लिए पहुंच रहे हैं।
गढ़ बचाने के लिए मोदी की रैली का सहारा
पाटीदार वोट बैंक बिखरे नहीं, इसलिए केंद्रीय मंत्री मनसुख भाई मांडविया और पुरुषोत्तम भाई रुपाला को यहां की कमान दी गई है। 2017 के विधानसभा चुनावों में पाटीदार समुदाय भाजपा से नाखुश था। बावजूद इसके पीएम मोदी या अन्य कोई बड़ा नेता यहां सभा के लिए नहीं पहुंचा था। लेकिन इस बार की स्थिति बिल्कुल अलग नजर आ रही है। क्योंकि जब पार्टी मुश्किल में होती है तो पार्टी मोदी के चेहरे और उनकी रैली का सहारा लेने से नहीं चूकती है। अब मोदी अपनी रैली के जरिए पाटीदार वोटों को साधने का काम करेंगे। सूरत की वराछा रोड हॉट सीट बनी हुई है। क्योंकि यहां आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है। इसलिए पीएम मोदी अपनी इस सीट के जरिए इस सीट से लगी हुई कामरेज, करंज, ओलपाड़, कतारगाम के साथ सूरत उत्तर के मतदाताओं को भी साधने की कोशिश करेंगे। दरअसल, सूरत महानगर पालिका के चुनाव में पाटीदार वोटों से आम आदमी पार्टी को पहली बार में ही 27 सीटें हासिल हुई थीं। इस चुनाव में आप प्रत्याशियों की सभाओं में भारी भीड़ जुट रही है। इसलिए भाजपा को कहीं न कहीं यह डर है कि अगर नगर पालिका चुनाव जैसी वोटिंग हो गई, तो पांच से ज्यादा सीट भाजपा खो सकती है।
सूरत की 16 में से 15 सीटों पर भाजपा का करीब 15 वर्षों से कब्जा है। यहां दो लोकसभा सीट हैं। इनमें एक सूरत, जहां से केंद्रीय मंत्री दर्शना विक्रम जरदोश सांसद है। वहीं नवसारी सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल चुनकर आते हैं। नवसारी सीट का आधा हिस्सा सूरत में आता है। भाजपा फिलहाल गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी की सीट मंजूरा, उधना, चौर्यासी, सूरत पूर्व, लिंबायत और सूरत पश्चिम सीट पर मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।
मजूरा सीट जैन, मारवाड़ी, राजस्थानी बाहुल्य सीट है। कपड़ा व्यापार से जुड़े व्यापारियों का यह गढ़ है। चौर्यासी सीट भाजपा का गढ़ है। यहां पार्टी दो बार से नए चेहरे को मौका दे रही है। लिंबायत सीट मराठी बाहुल सीट है। पार्टी ने यहां से मराठी भाषी संगीता पाटिल को दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है। उधना सीट हिंदी बाहुल सीट है। इसके बावजूद पार्टी ने यहां से हिंदी भाषी के बजाए गुजराती पटेल को मैदान में उतारा है।
इन सीटों पर आप बिगाड़ सकती है भाजपा का खेल
2017 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट देखें, तो भाजपा 100 के आंकड़े तक को नहीं छू पाई थी। पार्टी को महज 99 सीटें मिली थीं। हालांकि कांग्रेस 77 सीटें जीती थीं। 2017 के चुनाव में सूरत में सीधी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच थी, लेकिन आम आदमी पार्टी की एंट्री ने इस बार मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। हालांकि लोगों का मानना है कि कांग्रेस इस बार लड़ाई में नहीं है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी की एंट्री से भाजपा को ही फायदा होगा। कांग्रेस का वोट बैंक आप में शिफ्ट होगा। सूरत की 16 सीटों में से पांच सीटों पर आप की कड़ी टक्कर भाजपा से है। वराछा, कतारगाम, करंज, ओलपाड़ और कामरेज पाटीदार बहुल सीट है।
अरविंद केजरीवाल का फोकस सूरत की इन सीटों पर इसलिए ज्यादा है, क्योंकि यहीं से गुजरात में पहली जीत का स्वाद आप ने चखा था। इस जीत के बाद आप को यहां अपनी जमीन नजर आने लगी और इसी के दम पर अब पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरी है। आप के 27 पार्षद भी इन्हीं क्षेत्रों से महानगर पालिका में चुनकर आए हैं। आम आदमी पार्टी ने यहां एक साल में 20 से ज्यादा सभाएं की हैं। इनमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा शामिल हैं।
कतारगाम सीट पर भी लड़ाई बड़ी दिलचस्प है। यहां से आप ने गुजरात में आम आदमी पार्टी के संयोजक गोपाल इटालिया को प्रत्याशी बनाया है। इटालिया क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। वराछा सीट पर आप ने पादीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक रहे अल्पेश कथरिया को मैदान में उतारा है। पाटीदारों में यह अच्छा रसूख रखते हैं। इसके अलावा करंज सीट से आप ने प्रदेश महामंत्री मनोज सोरठिया को टिकट दिया है।
विधानसभा चुनावों में जहां भाजपा और आम आदमी पार्टी आक्रमक प्रचार में लगी हुई हैं। वहीं कभी गुजरात में लंबे समय तक शासन कर चुकी कांग्रेस सुस्त नजर आ रही है। इस चुनावों में कांग्रेस का सहारा उन्हीं की पार्टी का बनाया हुआ घोषणा पत्र है। इसी घोषणा के पत्र के आधार पर कांग्रेस प्रत्याशी डोर टू डोर कैंपेन में लगे हुए हैं। क्योंकि कांग्रेस के उम्मीदवारों को प्रचार के लिए कोई खास फंड नहीं मिल रहा है। कांग्रेस उम्मीदवार बजट की कमी के चलते बड़े होर्डिंग और विज्ञापन भी नहीं लगा पा रहे हैं। जहां आप और भाजपा सोशल मीडिया के जरिए दमखम के साथ लोगों तक पहुंच रही है।
वहीं कांग्रेस सोशल मीडिया पर भी सक्रिय नहीं है। क्योंकि कांग्रेस की सोशल मीडिया देखने वाली टीम को अब तक बजट ही नहीं मिला है, जिससे उम्मीदवारों को अपने प्रचार के लिए अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है। फंड न मिलने से कांग्रेस नेताओं की बेबसी साफ नजर आ रही है। कांग्रेस के बड़े नेता कहते हैं कि पिछले 27 सालों में भाजपा का राज रहा। हम सत्ता से बाहर चल रहे हैं। ऐसे में हमारे पास प्रचार और बड़ी सभाओं के लिए बजट अब नहीं है। बजट उन्हीं सीटों पर खर्चा किए जा रहा है, जहां पार्टी को थोड़ी बहुत जीत की उम्मीद नजर आ रही है। पार्टी सूरत पूर्व, उधना और वराछा सीट पर टक्कर देने की स्थिति का दावा करती है। इसलिए कांग्रेस ने इन्हीं सीटों पर अपने स्टार प्रचारकों को प्रचार के लिए बुलाया है।