प्रामाणिकता से साथ गूगल मैप पर होंगे वाराणसी के सभी मंदिर, संपूर्णानंद यूनिवर्सिटी ने की पहल

प्रामाणिकता से साथ गूगल मैप पर होंगे वाराणसी के सभी मंदिर, संपूर्णानंद यूनिवर्सिटी ने की पहल
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वाराणसी | वेदों-पुराणों में वर्णित काशी के सभी मंदिर गूगल मैप पर होंगे। उनकी ऐतिहासिकता, पौराणिकता व महात्म्य भी पूरी प्रमाणिकता के साथ सामने होगा। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने यह पहल की है। इसके लिए 16 विद्वानों की समिति गठित की गई है। समिति विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित ग्रंथ ‘काशी खंड’ के आधार पर शास्त्र अनुसार इनका चिह्नांकन करेगी। इसमें एक हजार से अधिक मंदिरों पर शोध किया जाएगा।

पुराणों, वेदों में वर्णित मंदिरों की प्रमाणिकता में तनिक भी इधर-उधर न हो इसे लेकर समिति में जाने-माने विद्वानों को रखा गया है। अनादि काल के साथ ही बाद में बने मंदिर भी इस दायरे में होंगे। इसे लेकर जनवरी में चार चक्रों में बैठक कर रिपोर्ट एकत्र की जाएगी। शास्त्रीय उद्धरणों के आधार पर विचार विमर्श कर त्रुटियों को दूर किया जाएगा। इसके बाद देश भर से जाने-माने विद्वानों के साथ बैठक कर समीक्षा की जाएगी। पुन: मंथन कर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। संपूर्णानंद के कुलपति प्रो. हरेराम की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक गोयल को सौंपी जाएगी।

यह समिति में हैं शामिल
प्रो. हरेराम त्रिपाठी, कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, काशी विद्वत परिषद
प्रो. नागेंद्र पांडेय, न्यास काशी विश्वनाथ धाम
प्रो. कृष्णकांत शर्मा, संस्कृत भारती काशी
प्रो. हृदयरंजन शर्मा, बीएचयू
प्रो. रामचंद्र पांडेय, बीएचयू
प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, संपूर्णानंद
प्रो. रामनारायण द्विवेदी, काशी विद्वतपरिषद
प्रो. हरिप्रसाद, संपूर्मानंद
डा. पद्माकर मिश्र, शोध निदेशक संपूर्णानंद
प्रो. हरिशंकर पांडेय, संपूर्णानंद
प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, संपूर्णानंद
डा. रविशंकर पांडेय, संपूर्णानंद
डा. अभिषेक त्रिपाठी, बीएचयू
डा. संजीव राय, संस्कृत भारती
विजय मणि त्रिपाठी, संपूर्णानंद
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि सभी मंदिरों को प्रमाणिकता के साथ गूगल मैप के लिए सौंपा जाएगा। रंचमात्र भी चूक की गुंजाइश न रहे इस उद्देश्य से समिति में सभी जाने-माने 16 सदस्यीय विद्वानों को इसमें शामिल किया गया है। जनवरी में चार बैठकों के बाद देश भर के विद्वानों संग समीक्षा के बाद इस रिपोर्ट को सौंपा जाएगा।

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