सिद्दारमैया या डीके शिवकुमार? खड़गे के पाले में गेंद;एक गलती पड़ सकती है Congress को भारी
नई दिल्ली। कर्नाटक की जनता अपना फैसला दे चुकी है,मगर कांग्रेस राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं कर पा रही है। कर्नाटक का किला फतह कर चुकी कांग्रेस अब अपने घर में फंसी है। कांग्रेस के सामने नई मुसीबत कुर्सी के लिए पार्टी में फूट की है। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कांग्रेस में दो धड़े नजर आने लगे हैं। बात दिल्ली तक पहुंच चुकी है और गेंद मल्लिकार्जुन खड़गे के पाले में आ चुकी है। लिहाजा मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर अब दिल्ली से ही लगनी है।
कांग्रेस ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री का चेहरा चुनने के लिए तीन-तीन पर्यवेक्षक बनाए। रविवार को कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। गहनता से मंथन चला और विधायकों की राय भी जानी गई। मगर भारी गहमागहमी के बीच मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर नहीं लग पाई और बाद भी गेंद खड़गे के पाले में आ गई। बैठक में विधायक दल का नेता चुनने का निर्णय मल्लिकार्जुन खड़गे के ऊपर छोड़ दिया गया।
खड़गे जल्द लेंगे फैसला: सुरजेवाला
कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में दो प्रस्ताव लाए गए जिसमें कर्नाटक की जनता का धन्यवाद किया गया और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस विधायक दल के नेता का चुनाव करेंगे यह कहा गया। सुरजेवाला ने रविवार देर रात कहा कि पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ज्यादा समय नहीं लेंगे और जल्द ही कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करेंगे।
खड़गे के सामने होगी बड़ी चुनौती
मतलब ये कि खड़गे ही अगले मुख्यमंत्री के नाम का चुनाव करेंगे। हालांकि उनके लिए इतना भी आसान नहीं होने वाला है। खड़गे की चूक कर्नाटक में कांग्रेस का पूरा खेल तक बिगाड़ सकती है। ऐसा इसलिए कि मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस दो धड़ों में बंट चुकी है। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के समर्थक खुलकर सामने आ चुके हैं और अपने अपने नेताओं के लिए कुर्सी मांग रहे हैं। यही नहीं, सीएम की कुर्सी के लिए कांग्रेस में पोस्टर वार तक छिड़ चुका है। रविवार को दोनों के समर्थकों ने अपने अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए पोस्टर जारी कर दिए।
बताते चलें कि कर्नाटक में कांग्रेस ने बिना चेहरे की चुनाव लड़ा। अब जीत के बाद डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों कुर्सी की दौड़ में आगे खड़े हुए हैं। दोनों की कर्नाटक के दिग्गज नेता हैं और उनका अपना अपना मजबूत वोटबैंक है। यहां तक कि दोनों के अपने अपने समर्थक विधायक भी हैं। बताया जाता है कि पहली बार चुनाव जीते कांग्रेस के 35 में से करीब 80 प्रतिशत विधायक डीके शिवकुमार के पक्ष में हैं, जबकि 135 विधायकों में से 70 फीसदी के आसपास विधायक सिद्धारमैया को चाहते हैं। मसलन, खड़गे को मध्य प्रदेश,राजस्थान, छत्तीसगढ़ में स्थितियों को ध्यान में रखकर ही फैसला करना होगा। उनकी एक भूल बड़े नुकसान की वजह बन सकती है।