UP में BJP ‘हाफ’,क्या CM योगी आदित्यनाथ इस्तीफा देंगे?

UP में BJP ‘हाफ’,क्या CM योगी आदित्यनाथ इस्तीफा देंगे?
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लखनऊ। लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे ज्‍यादा नुकसान यूपी से हुआ है। 10 वर्षों में पहली बार यूपी में पार्टी ने इतना खराब प्रदर्शन किया है और सपा के बाद टैली के लिहाज से वो दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। भाजपा को जहां अपने दम पर 33 वहीं सपा को 37 सीटें मिली हैं। सपा ने लोकसभा चुनावों में अब तक का सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन किया है। इसके बाद से ही सूबे की सियासत में बीजेपी के अंदरखाने खलबली मच गई है। बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन की जिम्‍मेदारी कौन लेगा ये सबसे बड़ा सवाल खड़ा हुआ है? सवाल ये भी उठ रहा है कि क्‍या सीएम योगी आदित्‍यनाथ खराब प्रदर्शन की जिम्‍मेदारी लेते हुए पद से इस्‍तीफा देंगे? ये बात इसलिए अहम है क्‍योंकि महाराष्‍ट्र में खराब प्रदर्शन की जिम्‍मेदारी लेते हुए वहां के डिप्‍टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस्‍तीफे की पेशकश की है। फडणवीस आज शाम दिल्‍ली पहुंच सकते हैं। उनको कल संसदीय बोर्ड की बैठक में हिस्‍सा लेना है। उनकी बीजेपी आलाकमान से खुद को महाराष्‍ट्र सरकार से बाहर रखने की अपील के बाद बड़े नेताओं से मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। इसी तरह सीएम योगी आदित्‍यनाथ भी आज शाम दिल्‍ली पहुंच रहे हैं।

वैसे इस तरह के सवाल को खड़ा करने वाले नैतिकता का हवाला देकर इस तरह की मांग कर रहे हैं। ये सवाल कुछ ऐसा ही है जैसा कि विपक्ष पीएम मोदी से मांग कर रहा है कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को नहीं छू सकी लिहाजा उनको इस्‍तीफा देना चाहिए। कुछ लोग नीतीश कुमार का उदाहरण दे रहे हैं कि जब 2014 में उनकी पार्टी जेडीयू का प्रदर्शन खराब रहा था तो उन्‍होंने पद से इस्‍तीफा दे दिया था। लेकिन इस तरह की मांगों के बीच जमीनी हकीकत को भी समझने की जरूरत है।

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यूपी सरकार के 16 मंत्री अपनी विधानसभा हारे। सूर्य प्रताप शाही की पथरदेवा में बीजेपी हार गई। राकेश सचान की भोगनीपुर सीट में पार्टी हार गई। जयवीर सिंह,ओम प्रकाश राजभर, असीम अरुण, मयंकेश्वर शरण, सोमेंद्र तोमर, सुरेश राही, अनूप बाल्मिकी, सतीश शर्मा और विजय लक्ष्मी गौतम अपनी अपनी सीटों पर बीजेपी को नहीं जिता पाए। यूपी सरकार के अधिकाश मंत्री अपने क्षेत्रों में बेअसर रहे।

सूत्रों का कहना है कि यूपी में भितरघात के कारण बीजेपी हारी है। इस संबंध में राज्‍य इकाई रिपोर्ट तैयार करेगी और भाजपा आलाकमान इस पर एक्‍शन लेगा। सिर्फ इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव तय माने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि संगठन के स्‍तर पर बड़े बदलाव होंगे। भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष भूपेंद्र चौधरी को पद से हटाया जा सकता है। इसी तरह उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्ष तक पर गाज गिर सकती है। अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव हो सकता है।

इसी परिप्रेक्ष्‍य में ये कहा जा रहा है कि बीजेपी के 33 सीटों पर सिमटने का असर क्‍या सीएम योगी पर भी पड़ सकता है? कई विश्‍लेषकों का ये कहना है कि बीजेपी की तरफ से टिकट बंटवारे में किसकी सबसे ज्‍यादा भूमिका रही…ये देखने वाली बात होगी। हार का ठीकरा भी उसी पर फूटेगा। लेकिन इस संबंध में राजनीतिक विश्‍लेषक ये भी कह रहे हैं कि सीएम योगी को ही केवल जिम्‍मेदार ठहराना सही नहीं रहेगा क्‍योंकि इसके पीछे कई अन्‍य कारण भी हैं। मसलन पीएम नरेंद्र मोदी की पिछली बार की तुलना में अपेक्षाकृत कम मार्जिन से जीत और इसी तरह अमेठी से स्‍मृति ईरानी का हारना ये बताता है कि बीजेपी को गंभीर आत्‍ममंथन से गुजरना होगा।

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PDA बनाम BJP का जातीय समीकरण
राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण ये रहा कि बीजेपी टिकट बंटवारे में ठीक से संतुलन नहीं बना पाई। पार्टी ने यूपी की 75 सीटों पर अकेले दम चुनाव लड़ा। इनमें से 16 ब्राह्मण, 13 ठाकुर उम्‍मीदवारों को टिकट दिया गया। इनमें से केवल 8-6 ही जीते। इसके विपरीत सपा ने परंपरागत मुसलमान-यादव (MY) वोटबैंक की तुलना में पिछड़ा, दलित, अल्‍पसंख्‍यक पर फोकस करते हुए अपने 62 प्रत्‍याशियों में से 57 गैर यादव उम्‍मीदवारों को मैदान में उतारा। अखिलेश यादव ने यादव जाति के केवल 5 लोगों को टिकट दिया। ये सभी उन्‍हीं के परिवार के सदस्‍य हैं।


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