बीजेपी ने ममता बनर्जी के खिलाफ ही दिया ‘खेला होबे’ का नारा,जल्दी चुनाव का किया दावा
नई दिल्ली। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के ‘खेला होबे’ नारे का इस्तेमाल उन्हीं के खिलाफ करते हुए जल्दी चुनाव का संकेत दिया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि आने वाले चुनावों में दोनों दलों के बीच खेला होगा। बीजपी नेता ने शुक्रवार (2 दिसंबर) को उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर में एक जनसभा में कहा कि ‘खेला होबे’, दोनों दलों की ओर से खेल खेला जाएगा और ये खतरनाक होगा।
सुकांत मजूमदार ने कहा कि बीजेपी अहिंसा में विश्वास करती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि अगर दो-दो हाथ करने की नौबत आती है तो बीजेपी रहेगी। तृणमूल कांग्रेस ने 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले ‘खेला होबे’ का नारा दिया था और यह बेहद लोकप्रिय हुआ था। पश्चिम बंगाल के बाहर कई अन्य पार्टियों ने भी बाद में इसका इस्तेमाल किया था।
बंगाल में जल्दी चुनाव का किया दावा
पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष मजूमदार ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि तृणमूल कांग्रेस सरकार, जो राज्य की संपत्तियों को बेच रही है, कुछ वर्षों में हटा दी जाएगी। राज्य में जल्द चुनाव की ओर इशारा करते हुए, बीजेपी नेता ने दावा किया कि अगर पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ होते हैं तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा।
लगातार तीसरी बार सत्ता में आई थी टीएमसी
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस 2021 में लगातार तीसरी बार राज्य में सत्ता में आई थी। मजूमदार ने दावा करते हुए कहा कि लगभग 300 टीएमसी कार्यकर्ता 2021 के चुनाव के बाद की हिंसा से संबंधित मामलों में सलाखों के पीछे हैं, जिनकी जांच सीबीआई की आर से की जा रही है। अभी और लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने की संभावना है।
पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप लगाया
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो अवैध कार्यों में लिप्त है,चाहे वह किसी भी बड़े पद पर हो, जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं तब तक ऐसा व्यक्ति बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने दावा किया कि पुलिस बल की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए लोकसभा में एक विधेयक लाया जाएगा। ये आरोप लगाते हुए कि राज्य में पुलिस सत्तारूढ़ दल के प्रति पक्षपाती है, सुकांत मजूमदार ने कहा कि मैं आप (पुलिस कर्मियों) से बिना पक्षपात के कार्य करने का आग्रह करता हूं क्योंकि आपका वेतन करदाताओं के पैसे से दिया जाता है,न कि किसी राजनीतिक संगठन की ओर से।