फूलों की खेती से कर रहीं करोड़ों की कमाई,टीम में शामिल हैं 90 प्रतिशत से महिलाएं

फूलों की खेती से कर रहीं करोड़ों की कमाई,टीम में शामिल हैं 90 प्रतिशत से महिलाएं

नई दिल्ली। फूलों की दुनिया में यशोदा करुतुरी और रिया करुतुरी महकते हुए नाम हैं। दोनों सगी बहनें हैं जिन्होंने महज तीन साल में ही फ्लावर इंडस्ट्री में अपनी कंपनी हूवु फ्रेश को बड़ा ब्रांड बनाया। 10 लाख की रकम से शुरू किए गए बिजनेस को करोड़ों के टर्नओवर में बदला है।

यशोदा और रिया ने 14 फरवरी 2019 को बेंगलुरु में हूवु फ्रेश की शुरुआत की थी। 28 साल की रिया बताती हैं कन्नड भाषा में हूवु एक तरह का फूल है। कंपनी का नाम हमने सोच-समझ कर हूवु रखा ताकि इससे लोकल भाषा का टच मिले। हमें इसका फायदा भी मिला। कंपनी शुरू होने के कुछ माह बाद ही कोविड की वजह से बिजनेस ठप हुआ, लेकिन वक्त के साथ सब ठीक हो गया।

मां ने मोटिवेट किया
रिया ने भास्कर वुमन को बताया कि उनकी मां की शिकायत थी कि देश के फ्लावर कैपिटल बेंगलुरु में रहने के बावजूद समय पर फूल नहीं मिलते। फूल भी ताजे नहीं होते। मां की यह बात बहनों ने पकड़ ली। वो मोटिवेट हुईं कि क्यों नहीं पूजा के फूलों का ही बिजनेस किया जाए। इस तरह ‘रोज बाजार’ की शुरुआत हुई जिसे आगे चलकर हूवु फ्रेश का नाम मिला।

पिता का इथोपिया और केन्या में था फूलों का बिजनेस
रिया की बड़ी बहन यशोदा बताती हैं कि उनके पिता रामाकृष्णन का इथोपिया के अदिस अबाबा और केन्या के नकरू में दुनिया का सबसे बड़ा रोज फार्म था। 1994 में जिस साल इसकी शुरुआत हुई थी उसी साल उनका जन्म हुआ था। वह कहती हैं उनका नाम यशोदा भी गुलाब की एक वेराइटी पर ही रखा गया। उ‌नकी छोटी बहन रिया का नाम डार्क रेड रोज की एक वेराइटी पर रखा गया है।

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एक समय उनके पिता का बिजनेस बहुत बड़ा था। कई देशों में फूलों की सप्लाई की जाती थी। लेकिन कई वजहों से बिजनेस कम होता चला गया। यशोदा बताती हैं कि इथोपिया और केन्या में अपने फूलों के फैमिली बिजनेस को करीब से देखा, जाना और समझा। इसलिए मां के आइडिया पर हमने काम करना शुरू किया।

महिलाओं को मिला रोजगार
कंपनी की को-फाउंडर रिया बताती हैं कि भारत में आमतौर पर पूजा के फूल मंदिरों के आसपास ही बिकते हैं। ठेले पर या सड़क किनारे नीचे बैठकर महिलाएं पूजा के फूल बेचती हैं। यह पूरी तरह से असंगठित है। जब हमने हूवु फ्रेश की शुरुआत की तब इस बात का ध्यान था कि महिलाएं इस उद्योग से जुड़कर खुद को मजबूत बना सकेंगी।
जब कंपनी की शुरुआत हुई थी तब 25 महिलाएं थीं लेकिन आज इनकी संख्या कई गुना बढ़ चुकी है। रोजगार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं।

हर माह डेढ़ लाख से अधिक के ऑर्डर
यशोदा बताती हैं कि हर माह डेढ़ लाख से अधिक ऑर्डर मिलते हैं। ये ऑर्डर बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, मैसूर, पुणे, मुंबई, गुरुग्राम, नोएडा आदि से मिल रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें अधिकतर मंथली सब्सक्रिप्शन वाले कस्टमर हैं। यह न्यूनतम सौ रुपये से शुरू होता है। 25 रुपये के फ्लावर बॉक्स में भी कई वेराइटी के फूल होते हैं।

फूल दो सप्ताह तक रहते हैं फ्रेश
फूलों की पैकेजिंग इस तरह होती है कि वे दो सप्ताह तक ताजे बने रहते हैं। इसे फ्रेश रखने के लिए इथिलीन ब्लाकर्स और दूसरी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। पैकेजिंग में भी जीरो टच फ्लावर टेक्निक होती है। ये पैकेट भी इको फ्रेंडली होते हैं जिन्हें आसानी से डिकम्पोज किया जा सकता है।

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फूलों से तैयार हो रही अगरबत्ती
यशोदा बताती हैं कि उनकी कंपनी फूलों से अगरबत्ती भी बनाती है। ये पूरी तरह ऑर्गेनिक होते हैं। इनमें न तो चारकोल होता है, न ही केमिकल।

किसानों के साथ टाईअप
यशोदा बताती हैं कि हूवु फ्रेश ने पूजा के फूलों के बिजनेस को संगठित करने की कोशिश की है। इसमें सफलता भी मिली है। पहले किसान फूलों को मंडी में बेचते थे, जहां अक्सर उन्हें घाटा होता था। फूलों की सही कीमत नहीं मिलती थी।

समय पर फूल नहीं बिकने पर आधे से अधिक बेकार हो जाते थे। लेकिन उन्होंने सैकड़ों किसानों को कंपनी से जोड़ा जिससे किसानों को फूलों की सही कीमत मिले। फूल भी बर्बाद नहीं होते। उनकी कंपनी के साथ अलग-अलग स्टेट में सैकड़ों किसानों से टाईअप हुए हैं। साथ ही डिलिवरी की भी एक चेन बनी है।

कस्टमर को समय पर मिलते हैं फूल
रिया बताती हैं कि जिन कस्टमर का ऑर्डर मिलता है उन्हें समय पर डिलिवरी दी जाती है। कुछ ई कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर हमारे प्रोडक्ट हैं।

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