भीषण गर्मी में सूखने लगी गंगा,घाटों से 200 मीटर हुई दूर,वैज्ञानिकों ने भी जताई चिंता
कानपुर। भीषण गर्मी का असर अब नदियों पर भी देखने को मिल रहा है। कानपुर में गंगा नदी की धारा बहुत पीछे चल गई है। गंगा में इन दिनों पानी इतनी कम है कि गंगा की धारा किनारों तक भी नहीं पहुंच पा रही।
उत्तर प्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत में पड़ रही भीषण गर्मी की वजह से कानपुर में गंगा नदी एकदम सिकुड़ गई है। सर्दियों में जिस गंगा की धारा में दूर-दूर तक बहती नजर आती है आज हालत ये है कि गंगा नदी घाटों से भी बहुत दूर हो गई है।
कानपुर शहर के प्रमुख सरसैया घाट से गंगा नदी की धारा करीब 200 मीटर दूर हो गई है जिसे साफ देखा जा सकता है। कुछ इसी तरह उन्नाव की ओर भी गंगा ने किनारों को छोड़ दिया है। जिसकी वजह से यहां के परमट घाट और सिद्धनाथ घाट के किनारे श्रद्धालुओं को आचमन के लिए बीच धारा में जाना पड़ रहा है।
वैसे तो गर्मी में हर बार गंगा नदी का जल स्तर कम हो जाता है लेकिन इस बार गंगा नदी कुछ ज्यादा ही घाटों से दूर हो गई है। सरसैया घाट पर गंगा नदी का बहाव सबसे ज्यादा दूर होने की बड़ी वजह बताई जा रही है कि यहां पर बालू के टीले बन गए हैं इसकी वजह से गंगा नदी का बहाव घाट की ओर होने के बजाय शुक्लागंज क्षेत्र की ओर ज्यादा हो गया है। दूसरे घाटों पर भी लोगों को 100 से 200 मीटर अंदर जाना पड़ा है।
बालू के टीलों को समतल कराने को लेकर भी नमामि गंगे प्रकोष्ठ ने कई बार अधिकारियों को बताया,लेकिन इस बार स्थिति काफी विकट है। गंगा के जल स्तर में आ रही कमी के चलते शहर में पेयजल की आपूर्ति व्यवस्था भी चरमराई हुई है।
गंगा के जलस्तर में आई कमी को लेकर वैज्ञानिक भी चिंतित हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनियाभर की नदियां सूख रही हैं। ग्लेशियर साल भर नदियों को लबालब रखते हैं लेकिन अब ग्लेशियरों के सिकुड़ने के चलते नदियों का जल स्तर लगातार घट रहा है।
कुल मिलाकर आम दिनों में घाटों पर पूजी जाने वाली गंगा को आचमन और पूजन के लिए श्रदालुओं को बालू में काफी पैदल चलकर आगे जाना पड़ रहा है। वहीं गंगा में नाव चलाकर जीवन यापन करने वाले लोग भी भीषण गर्मी के बीच घाटों से दूर हुई गंगा के चलते काफी निराश हैं।