जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के इस्तीफ़ा की चर्चा तेज !
जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अपने पद से इस्तीफा देने की खबर चर्चा में है। उनका 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है।
सूत्रों के अनुसार उन्होंने हाल की घटनाओं किश्तवाड़ के चसोती गांव में भूस्खलन और बादल फटने से एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत, माता वैष्णो देवी यात्रा के दौरान भारी भीड़ और अव्यवस्था से चार श्रद्धालुओं की मौत तथा जम्मू में बाढ़ के दौरान कुप्रबंधन की पूरी ज़िम्मेदारी लेते हुए यह कदम उठाया है। मनोज सिन्हा कार्यकाल सफल माना जाता है।
कुछ घटनाओं को लेकर सवाल भी उठे।चसोती त्रासदी को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि इलाके की नाजुक स्थिति की जानकारी पहले से थी लेकिन समय रहते कोई कार्रवाई नहीं हुई। माता वैष्णो देवी यात्रा के दौरान हुई मौतों ने भी प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी। उधर, जम्मू शहर और आसपास के क्षेत्रों में आई बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया।
सूत्रों के अनुसार मनोज सिन्हा ने राष्ट्रपति को इस्तीफा भेजते हुए कहा कि यह कदम उन्होंने जवाबदेही की भावना से उठाया है ताकि इन त्रासदियों और प्रशासनिक असफलताओं की गहन समीक्षा हो सके और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।
वही अभी जनवार्ता को इस खबर के आधिकारिक रूप से पुष्ट होने का इंतजार है।
Update:
मनोज सिन्हा के इस्तीफे की चर्चा तेज, आधिकारिक पुष्टि नहीं
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के इस्तीफे को लेकर बुधवार को इंटरनेट मीडिया पर अफवाहों का दौर तेज हो गया। कई पोर्टल्स ने दावा किया कि उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया है और हालिया घटनाओं की “जिम्मेदारी” ली है। हालांकि, अब तक इस संबंध में न तो राजभवन और न ही केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है।सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों पहलगाम आतंकी हमले, बाढ़ प्रबंधन और कुछ प्रशासनिक चूकों को लेकर विपक्षी दलों ने उपराज्यपाल से इस्तीफे की मांग की थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेताओं ने सार्वजनिक मंचों पर भी इस विषय को उठाया। इसी बीच कुछ समाचार वेबसाइटों ने यह खबर प्रसारित की कि मनोज सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया है।हालांकि, प्रमुख राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों और प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है। राजभवन और राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से भी अभी तक कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जब तक केंद्र सरकार या राष्ट्रपति भवन की ओर से औपचारिक घोषणा नहीं होती, तब तक इन खबरों को केवल अटकल माना जाना चाहिए।फिलहाल जम्मू-कश्मीर में प्रशासन सामान्य रूप से कार्य कर रहा है और राजभवन से जुड़े अधिकारी इन चर्चाओं पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं।