अनूप जलोटा के गानों पर झूमे लोग,इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई संकटमोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा

अनूप जलोटा के गानों पर झूमे लोग,इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई संकटमोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा
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वाराणसी | संकटमोचन संगीत समारोह के शताब्दी वर्ष की पांचवीं निशा पर प्रसिद्ध भजन गायक पंडित अनूप जलोटा ने जब तान छेड़ा तो तालियों की गड़गड़ाहट से महफिल गूंज उठी। अनूप जलोटा ने संकट मोचन मंदिर में सोने की चिड़िया गाना गाया।

समारोह में उन्होंने कहा- देश को मुगलों ने बड़ा तबाह किया। देश को सोने की चिड़िया बताया गया और अंग्रेज लूट ले गए लेकिन अब पीएम मोदी ने सोने की चिड़िया को शेर बना दिया है, अब कोई नहीं लूट सकता। अनूप जलोटा ने मीरा हो गई मगन गाना गाया तो मंदिर परिसर का माहौल ही बदल गया। लोग झूमने पर मजबूर हो गए।

इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई संकटमोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा

संकटमोचन संगीत समारोह के शताब्दी वर्ष की पांचवीं निशा सदियों की बेहतरीन प्रस्तुतियों में दर्ज हो गई। 85 साल के पं. हरिप्रसाद की बांसुरी के जादू को महसूस करने के लिए बजरंगबली की अंगनाई श्रोताओं से ठसाठस थी। प्रस्तुति से आधे घंटे पहले ग्रीन रूम में जब हरिप्रसाद चौरसिया पहुंचे तो उनकी हालत ठीक नहीं थी। मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही थी, ऐसा लगा कि वह अब मंच पर नहीं जा सकेंगे। लेकिन, श्रोताओं का उत्साह और संकटमोचन का मंच देख उनमें जैसे नई ऊर्जा का प्रवाह हो गया। निर्धारित समय से वह मंच पर पहुंचे। मंच पर उनके लिए कुर्सी लगी। मंच पर रखी बांसुरी उठाई तो उनके हाथ कांप रहे थे। अधरों पर बांसुरी रखने में भी उनको थोड़ी परेशानी हो रही थी। कांपते हाथों और हांफते गले पर संगीत की साधना का प्रतिफल हावी रहा। जैसे ही उन्होंने बांसुरी को अधरों पर धरा और फूंक मारी, हर कोई बस वाह-वाह कर उठा। सभी ने संगीत के साधक की अनन्य साधना को अपने अंतस तक महसूस किया।

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