इस मुहूर्त में होगी राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा,मुहूर्त को लेकर क्या कहते हैं ज्योतिषी

इस मुहूर्त में होगी राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा,मुहूर्त को लेकर क्या कहते हैं ज्योतिषी
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नई दिल्ली। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा के लिए बहुत ही खास मुहूर्त चुना गया है। आइए जानते हैं क्यों बेहद खास है राम लल्ला की स्थापना का मुहूर्त।

संसार में व्याप्त समस्त मंगल के निधी और अमंगल का हरण करने वाले रामलला 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में नवनिर्मित मंदिर में विराजमान होंगे। वैसे तो रामजी के लिए सभी दस दिशाएं और समस्त समय शुभ ही रहता है पर सामान्य जनता की उत्सुकता हेतु हम देखेंगे कि रामलला के विराजमान होने का समय मुहूर्त के परिप्रेक्ष्य में क्या कहता है!

नक्षत्र मृगशिरा शुभ है वार सोमवार भी शुभ है। सोमवार के दिन मृगशिरा नक्षत्र का योग शुभ योग है। किसी भी शुभ कार्य के लिए सबसे अधिक महत्ता लग्न की होती हैं। रामलला जब विराजमान होंगे तब चर राशि का लग्न मेष पूर्व क्षितिज पर उदित हो रहा होगा। यह सभी को पता है कि लंबे समय तक सुचारू रूप से चलते रहने कि अपेक्षा रखने वाले किसी भी कार्य के लिए स्थिर राशी का लग्न सर्वोत्तम माना जाता है। तो यहां चर लग्न मेष का चुनाव थोड़ा अटपटा लग सकता हैं पर लग्न में नवमेश शुभ ग्रह गुरु की स्थिति से यह चर लग्न ग्राह्य माना जाएगा और लग्न में स्थिर राशि वृश्चिक का नवांश भी आएगा जो कि अच्छा है।

यह वृश्चिक राशि का नवमांश छोड़कर दूसरा कोई नवांश भी लिया जा सकता था पर फिर अभिजीत मुहूर्त के साथ नवांश लग्न से नवम भाव में उच्च के गुरु महाराज कि उपस्थित से जो शुभता मिल रही है वो शायद ना मिलती। एक और विशेष बात यह है कि लग्न के स्वामी मंगल का और भाग्य भाव के स्वामी गुरु का परिवर्तन योग अति शुभ योग कहा जाऐगा।

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तो कुल मिलाकर यह एक सामान्य मुहूर्त है जो देश काल परिस्थिति को ध्यान में रखकर चुना गया एक अच्छा मुहूर्त है। पर एक सावधानी हमेशा रखनी होगी जो कि नवम भाव में अष्टमेश मंगल के बैठने से साफ दिख रही है,किसी आततायी आक्रमण से मंदिर की सुरक्षा करना। भगवान श्रीराम कि जन्म राशि कर्क है और मुहूर्त समय कि वृष राशि है। कर्क से वृषभ ग्यारहवीं राशि आती हैं और उच्च के चंद्रमा का रामलला की जन्म राशि कर्क से उपचय भाव में बैठना अतिशुभ है। फिर मुहूर्त कुंडली से लग्न से केंद्र कोण में शुभ ग्रहों का होना और छठे और एकादश भाव में पाप ग्रहों का होना भी अच्छा है।

मुहूर्त कुंडली से दशम भाव में ग्रहों के राजा सूर्य का दिग्बली होकर उपचय भाव में बैठा होना भी अच्छा है। पर यह बताता है कि यह राजनीति भी जोर-शोर से होगी। राजनीति के हिसाब से देखें तो भारतीय जनता पार्टी और पंतप्रधान नरेंद्र मोदीजी कि वृश्चिक जन्म राशि से मुहूर्त कुंडली का लग्न छठे भाव में आ रहा है और चंद्रमा सातवें भाव में आ रहा है। लग्न का षठे भाव का होना विवाद और विरोध होना दिखाता है। तो हो सकता है कि श्रेय लेने की होड में इन को विरोध का सामना करना पडे। पर मुहूर्त समय के वृष राशि के उच्च चंद्रमा का भारतीय जनता पार्टी और पंतप्रधान नरेंद्र मोदी जी के जन्म राशि से सातवें भाव में होना जनता में खुब प्रसिद्धि देनेवाला योग है। सातवें भाव सामाजिक जीवन में पुनर्वापसी का भी भाव है तो हो सकता है कि हिंदुत्व विचारधारा कि यह पार्टी राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा जनता के सामने लाकर एक अलग अंदाज में हिंदुत्व कार्ड का उपयोग करें और चुनाव में उस का फायदा उठाएं।

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