एसजीपीजीआई को चाहिए एमबीबीएस डॉक्टर, पीएचसी और सीएचसी में पहले से ही चल रही है किल्लत

एसजीपीजीआई को चाहिए एमबीबीएस डॉक्टर, पीएचसी और सीएचसी में पहले से ही चल रही है किल्लत
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लखनऊ | मरीजों को सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं देने और विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने वाले एसजीपीजीआई को अब एमबीबीएस डॉक्टरों की तलाश है। यहां इमरजेंसी में यूपी प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के एमबीबीएस डॉक्टर मिलने के बाद बेडों की संख्या बढ़ाई जाएगी जबकि पीएमएचएस से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में पहले से ही डॉक्टरों की कमी है। ऐसे में पीएचसी-सीएचसी की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के डॉक्टरों को तैनात किया जाता है। अभी एसजीपीजीआई में पीएमएचएस के करीब सात डॉक्टर तैनात हैं। यहां 30 बेड की इमरजेंसी चल रही है। इसे बढ़ाकर 90 बेड करना है। इसके लिए पीएमएचएस से 10 एमबीबीएस डॉक्टर (लेवन 1) मांगे गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (प्रशासन) डॉ. राजा गणपति आर ने सभी सीएमओ एवं सीएमएस को निर्देश जारी कर दिया है। उन्हें निर्देशित किया है कि एसजीपीजीआई में प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले चिकित्सकों से सहमति लेकर उनका ब्योरा भेजें।

दूसरी तरफ पीएमएचएस संवर्ग के चिकित्सकों का कहना है कि विभाग में स्वीकृत करीब 19200 पदों के सापेक्ष करीब 13 हजार डॉक्टर ही कार्यरत हैं। सरकारी अस्पतालों में करीब छह हजार डॉक्टरों की कमी है। इसके बाद भी इन्हें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा रहा है। ऐसे में पीएचसी व सीएचसी की व्यवस्था गड़बड़ा रही है।

लंबे समय से नहीं हुआ प्रमोशन
एमबीबीएस लेवन1 के करीब 4600 चिकित्सक हैं। इनकी करीब तीन साल से पदोन्नति भी नहीं हुई है। ऐसे में एमबीबीएस डॉक्टरों का तर्क है कि जब आपात स्थिति आती है तो उन्हें विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है। बाद में उनकी अनदेखी की जाती है। पिछले दिनों लोहिया संस्थान से करीब 30 डॉक्टरों को दूसरी जगह भेज दिया गया। मध्य सेशन में भेजे जाने वाली वजह से उनकी तैनाती में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ा।

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एसजीपीजीआई में चल रही 30 बेड की इमसरेंजी को बढ़ाकर 90 बेड करना है। इसके लिए 10 एमबीबीएस डॉक्टर प्रतिनियुक्ति पर मांगे गए हैं। यहां सात एमबीबीएस पहले से कार्यरत हैं।

  • प्रो. आरके धीमान, निदेशक एसजीपीजीआई

यूपी पीएमएचएस संवर्ग पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। यहां के खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। ताकि पीएचसी, सीएचसी का संचालन सुचारु रूप से हो सके। चिकित्सा संस्थानों में विशेषज्ञ डॉक्टर और रेजीडेंट भी हैं। यहां जरूरी है तो अलग से पद सृजित किया जाना चाहिए।

  • डॉ. अमित सिंह, प्रदेश महासचिव पीएमएस एसोसिएशन

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