राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूर्ण होने पर हंडिया पीजी कॉलेज में संगोष्ठी
प्रयागराज( जनवार्ता) । हंडिया पीजी कॉलेज, हंडिया, प्रयागराज में मंगलवार को “राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष: एक मूल्यांकन” विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. डॉ. विवेक पाण्डेय की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियों और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की। प्राचार्य प्रो. डॉ. विवेक पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्षों में भारतीय शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। उन्होंने इस नीति के व्यावहारिक क्रियान्वयन और भविष्य की दिशा पर जोर दिया। डॉ. अजय सिंह ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तकनीकी पहलुओं और डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ने पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाने का काम किया है। डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बहुभाषी शिक्षा और स्थानीय भाषाओं के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा से छात्रों की समझ और रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
IQAC समन्वयक डॉ. शैलेन्द्र कुमार यादव ने गुणवत्ता आश्वासन और शिक्षा के मानकीकरण के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि IQAC के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों में गुणवत्ता सुनिश्चित करना नई शिक्षा नीति का मुख्य लक्ष्य है। डॉ. रवीन्द्र कुमार सिंह ने उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के योगदान पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि नई नीति ने अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा दिया है।डॉ. शिवम् वर्मा ने कौशल विकास और रोजगार के अवसरों के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ने छात्रों के लिए विविध करियर विकल्प खोले हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोमेश नारायण सिंह द्वारा कुशलता से किया गया। उन्होंने सभी वक्ताओं का परिचय कराया और कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाया।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. रतंजय कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं और आयोजकों का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह संगोष्ठी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा और भविष्य की योजना बनाने में सहायक होगी।