गाजियाबाद: डासना जेल से कैदी भगाने की सनसनीखेज साजिश नाकाम
दो सिपाहियों पर फर्जी पेशी आदेश का आरोप, निलंबित
गाजियाबाद (जनवार्ता) : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में खाकी वर्दी पर एक बार फिर दाग लगने वाला मामला सामने आया है। डासना जेल से एक कैदी को फर्जी कोर्ट आदेश के सहारे भगाने की साजिश रचने के आरोप में कविनगर थाने के दो सिपाहियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस विभाग ने दोनों को तत्काल निलंबित कर दिया है। जेल प्रशासन की सतर्कता ने इस घटना को अंजाम तक पहुंचने से रोक लिया, लेकिन यह मामला पुलिस महकमे में हड़कंप मचा रहा है।
घटना की पूरी कहानी
जानकारी के मुताबिक, 4 अक्टूबर को कविनगर थाने के सिपाही सचिन कुमार और राहुल कुमार (कुछ रिपोर्ट्स में राजीव के रूप में उल्लिखित) सरकारी वाहन के बजाय निजी कार से डासना जेल पहुंचे। दोनों ने दावा किया कि उन्हें नोएडा कोर्ट में पेशी के लिए छह बंदियों में से एक खास कैदी—बिजेंद्र उर्फ वंश—को ले जाना है। यह कैदी गंभीर अपराधों के मामले में जेल में बंद है।
सिपाहियों के व्यवहार पर जेल अधीक्षक को शक हुआ। उन्होंने तुरंत जांच शुरू की, जिसमें खुलासा हुआ कि पेशी का आदेश पत्र पूरी तरह फर्जी था। गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) पुलिस लाइन के रिकॉर्ड में दोनों सिपाहियों की उस दिन कोई आधिकारिक रवानगी दर्ज नहीं थी। इतना ही नहीं, सरकारी वाहन न होने के बावजूद निजी कार से कैदी को ले जाने की जिद ने साजिश की पोल खोल दी।
मामला सामने आते ही दोनों सिपाही मौके से फरार हो गए। हालांकि, गाजियाबाद पुलिस की त्वरित कार्रवाई से उन्हें देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। एडिशनल डीसीपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि दोनों पुलिस लाइन गाजियाबाद में हवालात और अदालत पेशी की ड्यूटी पर तैनात थे। जांच में सामने आया कि यह साजिश कैदी को जेल से बाहर निकालकर फरार करने की थी।
विभागीय कार्रवाई और आगे की जांच
पुलिस विभाग ने दोनों सिपाहियों को तत्काल निलंबित कर दिया है। थाना कविनगर में आईपीसी की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। एसएसपी डॉ. इरदा यासीन ने कहा कि मामले की गहन जांच चल रही है। क्या इसमें कोई बड़ा गिरोह या अन्य लोग शामिल हैं, यह भी पता लगाया जा रहा है। जेल अधीक्षक की सतर्कता की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं पुलिस की छवि को धूमिल करती हैं।
यह घटना गाजियाबाद पुलिस के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गई है। हाल ही में जिले में पुलिसकर्मियों पर लापरवाही और भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन जेल ब्रेक जैसी साजिश बेहद गंभीर है। कैदी बिजेंद्र उर्फ वंश के परिजनों या बाहरी ताकतों से सिपाहियों का कोई संबंध होने की भी जांच की जा रही है।
सोशल मीडिया पर हंगामा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस घटना ने जोरदार बहस छेड़ दी है। पत्रकार ऋषभ त्यागी ने पोस्ट किया: “गाजियाबाद में फर्जी पेशी लेटर के जरिए कैदी को भगाने की कोशिश का मामला सामने आया है… पुलिस विभाग ने दोनों को तत्काल निलंबित कर दिया है।” इसी तरह, पत्रकार आसिफ अंसारी ने लिखा: “गाजियाबाद फर्जी पेशी लेटर पर कैदी को भगाने की कोशिश! … दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है।” यूजर्स पुलिस सुधार की मांग कर रहे हैं।
पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी और ऐसी साजिशों को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाई जाएगी। यह मामला उत्तर प्रदेश में जेल सुरक्षा और पुलिस जवाबदेही पर सवाल खड़े कर रहा है।