ट्रंप को अदालत से बड़ा झटका, अधिकांश टैरिफ अवैध करार
सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा प्रशासन, राष्ट्रपति बोले– “ये फैसला अमेरिका के लिए आपदा साबित होगा”
वॉशिंगटन (जनवार्ता)। अमेरिकी राजनीति और अर्थव्यवस्था में शुक्रवार को बड़ा मोड़ आया, जब संघीय अपील अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आपातकालीन शक्तियों के तहत लगाए गए अधिकांश टैरिफ को अवैध करार दे दिया। अदालत ने 7-4 के बहुमत से कहा कि राष्ट्रपति को आपातकाल में कई कदम उठाने का अधिकार है, लेकिन टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार इसमें शामिल नहीं है।
अदालत का तर्क
यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने अपने आदेश में साफ कहा कि ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA-1977) का गलत इस्तेमाल किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कानून प्रतिबंधों और संपत्ति जब्ती के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे टैरिफ लगाने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता।
किन टैरिफ पर असर पड़ेगा?
यह फैसला उन रेसिप्रोकल ड्यूटीज पर लागू होगा जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने व्यापार युद्ध की रणनीति के तहत चीन, कनाडा और मैक्सिको पर लगाया था। हालांकि, स्टील और एल्युमीनियम जैसे क्षेत्रों पर लगाए गए टैरिफ, जो अलग कानूनों के तहत लागू हुए थे, इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे।
ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया
फैसले के तुरंत बाद ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर बयान जारी कर अदालत को पक्षपाती बताते हुए कहा कि यह निर्णय “अमेरिका के लिए पूरी तरह आपदा” है। उन्होंने दावा किया कि टैरिफ हटने से अमेरिकी किसानों, उद्योगों और उत्पादकों को सीधी चोट लगेगी और विदेशी देशों को फायदा होगा।
व्हाइट हाउस का बयान
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा कि फिलहाल टैरिफ लागू रहेंगे। अदालत ने भी अपने आदेश को 14 अक्टूबर तक रोका है ताकि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।
पहले भी लगे झटके
यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप की टैरिफ नीति को अदालत ने खारिज किया हो। मई में यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड और वाशिंगटन की एक अन्य अदालत ने भी IEEPA के तहत टैरिफ लगाने को गलत ठहराया था।
अर्थव्यवस्था पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।
टैरिफ हटने पर आयातित सामान सस्ते हो सकते हैं, जिससे घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा।
टैरिफ बने रहने पर उपभोक्ताओं को महंगे दाम चुकाने पड़ेंगे और वैश्विक व्यापार तनाव में रहेगा।
अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर टिकी है। यदि अपील अदालत का फैसला बरकरार रहता है तो ट्रंप की व्यापार नीति को सबसे बड़ा कानूनी झटका लगेगा। वहीं, अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के पक्ष में निर्णय देता है तो उनकी नीतियों को मजबूती मिलेगी।
अमेरिकी राजनीति में यह फैसला किसी भूचाल से कम नहीं माना जा रहा है।