भोले बाबा ने डमरू बजाया | शिव के नाद से गूँज उठा सारा ब्रह्मांड

भोले बाबा ने डमरू बजाया | शिव के नाद से गूँज उठा सारा ब्रह्मांड

भोले बाबा ने डमरू बजाया यह पंक्ति भगवान शिव के उस चैतन्यमय रूप का प्रतीक है, जब उन्होंने सृष्टि के आरंभ में अपने डमरू की ध्वनि से ब्रह्मांड को जाग्रत किया। शिव का डमरू केवल एक वाद्य नहीं, बल्कि सृष्टि की पहली ध्वनि — ‘नाद’ — का स्रोत है। माना जाता है कि उसी नाद से संस्कृत वर्णमाला और वेदों की उत्पत्ति हुई। यह डमरू जीवन, ऊर्जा और ज्ञान का प्रतीक है। जब हम भोलेनाथ को डमरू बजाते हुए स्मरण करते हैं, तो हमारे भीतर भी चेतना की तरंगें जागृत हो उठती हैं और मन शांति से भर जाता है।

rajeshswari

भोले बाबा ने डमरू बजाया

भोले, बाबा ने, डमरू वजय,
गौरा को ब्याहने आया ll

तिलक, चढ़ने लगा, लड्डू बटने लगे ll
घर घर में, संदेशा, भिजवाया,
गौरां को, ब्याहने आया l
भोले, बाबा ने, डमरू…

सखियाँ, आने लगी, मंगल गाने लगी ll
भोले को, खूब नचाया,
गौरां को, ब्याहने आया l
भोले, बाबा ने, डमरू…

मंगल, गाने लगी, ढोलक बजने लगे ll
भोले को, खूब सजाया,
गौरां को, ब्याहने आया l
भोले, बाबा ने, डमरू…

मंडप, सजने लगा, फ़ेरे होने लगे ll
ब्रह्मा ने, ब्याह रचवाया,
गौरां को, ब्याहने आया l
भोले, बाबा ने, डमरू…

डोली, सजने लगी, गौरां रोने लगी ll
माता ने, गले से लगाया,
गौरां को, ब्याहने आया l
भोले, बाबा ने, डमरू…

हर हर महादेव

भाव से पूजन या ध्यान विधि

  1. दिन: सोमवार या महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से शुभ।
  2. स्थान: घर के मंदिर में शिवलिंग या भगवान नटराज की मूर्ति स्थापित करें।
  3. सामग्री: दीपक, धूप, बेलपत्र, गंगाजल, पुष्प, चंदन, फल और भस्म।
  4. प्रारंभ: “ॐ नमः शिवाय” का पाँच बार जप करें और दीपक जलाएँ।
  5. पूजन या ध्यान: भगवान शिव को जल और पुष्प अर्पित करें, फिर शांत मन से कल्पना करें कि भोलेनाथ अपने डमरू की ताल से आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा फैला रहे हैं।
  6. भजन या मंत्र: “भोले बाबा ने डमरू बजाया” भजन को श्रद्धा से गाएँ या सुनें।
  7. समापन: अंत में प्रार्थना करें — “हे भोलेनाथ, आपके डमरू की गूंज मेरे जीवन में ज्ञान और शांति का संचार करे।”
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इस भक्ति से मिलने वाले लाभ

  • आंतरिक शांति: डमरू की ध्वनि का ध्यान मन को स्थिर और शांत करती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: पूजा के दौरान वातावरण में पवित्रता और शक्ति का संचार होता है।
  • ज्ञान की प्राप्ति: शिव के नाद रूप से स्मरण करने पर बुद्धि और विवेक का विकास होता है।
  • भय और नकारात्मकता का नाश: भगवान शिव की कृपा से भय, भ्रम और तनाव दूर होता है।
  • भक्ति में गहराई: सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।

निष्कर्ष

भोले बाबा ने डमरू बजाया यह केवल एक भक्ति भाव नहीं, बल्कि उस नाद ब्रह्म का स्मरण है जिससे सृष्टि की शुरुआत हुई थी। भगवान शिव का डमरू हमें यह सिखाता है कि हर आवाज़, हर लय, हर स्पंदन में ईश्वर का ही अस्तित्व है। जब हम उनके इस रूप को मन में धारण करते हैं, तो हमारे जीवन का अंधकार मिटता है और हर दिशा में प्रकाश फैलता है। वास्तव में, भोलेनाथ का डमरू केवल ब्रह्मांड की धड़कन नहीं, बल्कि हर भक्त के हृदय की भी लय है।

Shiv murti

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