कर हरि सुमिरन हरि मिल जाएंगे | सुमिरन का मार्ग ही है प्रभु से मिलन का द्वार
“कर हरि सुमिरन हरि मिल जाएंगे” यह पंक्ति हमें बताती है कि जब मनुष्य सच्चे मन से प्रभु का नाम स्मरण करता है, तो वह उनसे दूर नहीं रह जाता। हरि नाम का जप केवल शब्दों का उच्चारण नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है। यह सुमिरन हमें भीतर से पवित्र करता है, हमारे मन को शांत और जीवन को सार्थक बनाता है। जब मन हरि के नाम में रम जाता है, तब जीवन की हर कठिनाई सरल हो जाती है और हर पल में ईश्वर का साक्षात्कार होने लगता है।

यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे……
सुख वाली उजियाली, सुबह मिलेगी,
दुःख वाली अंधियारी, रात टलेगी,
गम के हट जाए बादल,
खुशियां पाएगा हर पल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे,
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे………..
हर लेंगे हरि तेरा, हर एक संकट,
सुबह शाम दिन रात,
हरि नाम तू रट,
केवल दो अक्षर का नाम,
तेरा कर देगा हर एक काम,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे,
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे………..
करले भजन प्राणी,
हो के मगन तू, अपने सुधार ले,
सारे जनम तू,
सच्चा रख इनसे तू प्यार,
तुझको कर देंगे भव पार,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे,
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे………..
भजले नाम हरि का,
सारी ही सृष्टि जपती, नाम हरि का,
सारी सृष्टि के आधार,
ये है जग के पालनहार,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे,
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे………..
हरि सुमिरन करने की साधना
- समय: प्रातःकाल या संध्या समय, जब वातावरण शांत और मन एकाग्र हो।
- स्थान: घर के पूजास्थल या किसी पवित्र स्थल पर।
- सामग्री: दीपक, धूप, तुलसीदल, जल, माला और श्रीहरि का चित्र या मूर्ति।
- पूजन क्रम:
- दीपक जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “हरे कृष्ण हरे राम” का जप करें।
- अपने मन की भावनाएँ प्रभु को अर्पित करें और नम्रता से कहें — “हे हरि, मुझे आपकी भक्ति का मार्ग दिखाएँ।”
- माला लेकर हरि नाम का 108 बार जप करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद चढ़ाएँ।
- भाव: सुमिरन करते समय मन को भक्ति में डुबो दें, कोई इच्छा या अपेक्षा न रखें, बस प्रेमपूर्वक हरि का स्मरण करें।
हरि सुमिरन से प्राप्त होने वाले शुभ फल
- मन की अशांति, भय और तनाव दूर होते हैं।
- आत्मिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- जीवन में ईश्वर का सान्निध्य और दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है।
- सद्गुण, प्रेम और करुणा का विकास होता है।
- हर परिस्थिति में विश्वास और धैर्य बना रहता है।
निष्कर्ष
“कर हरि सुमिरन हरि मिल जाएंगे” यह संदेश देता है कि ईश्वर दूर नहीं, हमारे भीतर ही विद्यमान हैं। उन्हें पाने के लिए बस एक सच्चे मन और श्रद्धा की आवश्यकता होती है। जब मनुष्य अपने जीवन का केंद्र हरि के नाम को बना लेता है, तब उसे बाहरी सुखों की खोज नहीं करनी पड़ती, क्योंकि उसे अपने भीतर ही परम आनंद मिल जाता है। सुमिरन ही वह दिव्य सेतु है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है।

