मैं भूल गई री दादी | भक्ति, करुणा और मातृस्नेह का मधुर भजन
“मैं भूल गई री दादी” भजन भक्त और माँ शक्तिदादी के गहरे संबंध को व्यक्त करता है। इस भजन में एक साधक की भावनाएँ झलकती हैं, जो अपने जीवन की गलतियों को स्वीकार कर, फिर से माँ की शरण में लौट आता है। यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन और प्रेम का भावपूर्ण संवाद है। जब कोई इस भजन को गाता है, तो उसके मन में माँ के प्रति समर्पण, कृतज्ञता और सच्ची भक्ति जागृत होती है।
मैं भूल गई री दादी
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
थारे नाम की बुली चुन्दडी थारे मंगल पाठ मैं आती,
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
छोटा छोटा टाबरियां मैं सागे खीच ले आई
करे दादी ज्योति दर्शन तो नैना ज्योत समाई
म्हारे अंगना सती है दादी मैं पालना झुलाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
शिंगार की शोभा चमके दादी शीश पे छत्र लटके
माथे बिंदी सूर्ये मनी हर चुंदनी हीरा चमके
नाके नथनी लाल जड़ी है गल कर्ण फूल है दाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
तेरी हरी भरी रहे भगियाँ माँ तेरे आँचल,
खुशियाँ रहे सदा सुहागन दादी तेरी सखी सहेली
जन मंगल पाठ की भावना हिरदे में ज्योति जगाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
तू अधि माँ है शक्ति नव् दुर्गे संग है चलती
थारो धरती बनो देवरो माँ पूरण रक्शा तू करती
रख हाथ दया का सजन कं कं महिमा गाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
पाठ/गायन की विधि
- भजन गाने से पहले माँ शक्तिदादी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएँ।
- शांत मन से बैठकर कुछ क्षण ध्यान करें और माँ से क्षमा माँगें।
- फिर “मैं भूल गई री दादी” भजन को भावपूर्ण स्वर में गाएँ या सुनें।
- गायन के समय मन में सच्चा पश्चाताप और माँ के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए।
- अंत में माँ शक्तिदादी से मार्गदर्शन और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
लाभ
- मन के बोझ और अपराधबोध से मुक्ति मिलती है।
- आत्मा को शांति और सच्चे प्रेम का अनुभव होता है।
- भक्ति और श्रद्धा की भावना गहराती है।
- मन में सकारात्मकता और क्षमा का भाव आता है।
- माँ शक्तिदादी की कृपा से जीवन में सुकून और मानसिक संतुलन बना रहता है।
निष्कर्ष
“मैं भूल गई री दादी” भजन एक आध्यात्मिक अनुभव है जो भक्त के मन को विनम्रता और भक्ति से भर देता है। इस भजन के माध्यम से हम यह महसूस करते हैं कि माँ शक्तिदादी हमें सदा प्रेम, क्षमा और सुरक्षा प्रदान करती हैं, चाहे हम उनसे कितनी भी दूर क्यों न चले जाएँ। श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे गाने से मन हल्का होता है और आत्मा को सच्ची शांति मिलती है।