बोले शंकर गौरा जी से हम भी जनानी बनेंगे

बोले शंकर गौरा जी से हम भी जनानी बनेंगे

“बोले शंकर गौरा जी से हम भी जनानी बनेंगे” यह भावनात्मक पंक्ति भगवान शिव की सादगी और उनके प्रेम का सुंदर चित्रण करती है। यह भक्ति गीत उस पवित्र बंधन की झलक देता है, जहाँ शिव और पार्वती एक-दूसरे के पूरक हैं — शक्ति और शिव का मिलन। यह संदेश देता है कि जब तक प्रेम, भक्ति और समर्पण में समानता नहीं होती, तब तक सच्चा आध्यात्मिक अनुभव संभव नहीं। भोलेनाथ की सहजता और माँ गौरा का वात्सल्य हमें सिखाता है कि ईश्वर के समक्ष सब समान हैं — कोई बड़ा, कोई छोटा नहीं।

rajeshswari

बोले शंकर.. बोले शंकर गोरा जी से एक दिन,
प्यारी हम भी जनानी बनेंगे, बनेंगे प्यारी हम भी जनानी बनेंगे,
वृंदावन की .. वृंदावन की सुहानी गली में,
देखने रासलीला चलेंगे चलेंगे देखने रासलीला चलेंगे….

बोली गौरा सुनो त्रिपुरारी अक्ल गुम हो गई क्या तुम्हारी,
मर्द से बन रहे हो जनानी,
और कहते हो हम भी चलेंगे,
चलेंगे और कहते हो हम भी चलेंगे,
वृंदावन की .. वृंदावन की सुहानी गली में,
देखने रासलीला चलेंगे चलेंगे देखने रासलीला चलेंगे….

भोला करने लगे तैयारी तन पर बांधी बसंती साड़ी,
कोंधनी नागपुर की कसी है,
देखें शीशे में कैसे लगेंगे, देखें शीशे में कैसे लगेंगे,
वृंदावन की .. वृंदावन की सुहानी गली में,
देखने रासलीला चलेंगे चलेंगे देखने रासलीला चलेंगे….

बोली द्वारे पे ठारी गुजरिया, गौरा लाई हो नई बहुरिया,
इसका घूंघटा उठा कर दिखा दो, देखे भोले जी कैसे लगेंगे,
वृंदावन की .. वृंदावन की सुहानी गली में,
देखने रासलीला चलेंगे चलेंगे देखने रासलीला चलेंगे….

रास में घुस गए भोले शंकर, सामने मिल गए श्याम सुंदर,
भेद छिप ना सका भोले जी का, सोचे भोले जी कैसे बचेंगे,
वृंदावन की .. वृंदावन की सुहानी गली में,
देखने रासलीला चलेंगे चलेंगे देखने रासलीला चलेंगे….

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भोले-गौरा आराधना का सरल तरीका

  1. प्रातः स्नान कर शिव-पार्वती के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएँ।
  2. गंगाजल, दूध, पुष्प, बेलपत्र और सिंदूर अर्पित करें।
  3. दोनों का एक साथ स्मरण करते हुए कहें — “हर हर महादेव, जय माँ गौरी।”
  4. भक्ति से इस पंक्ति का जप करें — “बोले शंकर गौरा जी से हम भी जनानी बनेंगे।”
  5. अंत में परिवार, समाज और सभी प्राणियों के मंगल की प्रार्थना करें।

इस भक्ति से प्राप्त होने वाले शुभ फल

  • दाम्पत्य जीवन में प्यार, एकता और सौहार्द बढ़ता है।
  • जीवन में धैर्य, विनम्रता और संतुलन का विकास होता है।
  • भक्त के मन में शिव और शक्ति का दिव्य भाव उत्पन्न होता है।
  • कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोच और संतोष बना रहता है।
  • यह भक्ति आध्यात्मिक उन्नति और मन की शांति प्रदान करती है।

निष्कर्ष

“बोले शंकर गौरा जी से हम भी जनानी बनेंगे” केवल भक्ति का गीत नहीं, बल्कि प्रेम और समानता की भावना का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि सच्चा भक्त वही है जो अपने भीतर नम्रता, करुणा और प्रेम को स्थान देता है। जब हम शिव और गौरा का स्मरण करते हैं, तब हमारे जीवन में शक्ति और शांति दोनों का संगम होता है। इस भक्ति भाव के साथ यदि हर कोई अपना दिन प्रारंभ करे, तो जीवन सहज, सुंदर और आनंदमय हो उठेगा।

Shiv murti

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