बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले | आनंद, वैराग्य और सृष्टि की लय के अधिपति

बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले | आनंद, वैराग्य और सृष्टि की लय के अधिपति

बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले यह पंक्ति भगवान शिव की उस अलौकिक छवि को दर्शाती है जहाँ वे आनंद, वैराग्य और शक्ति के प्रतीक बनकर नृत्य कर रहे हैं। उनके हाथ का डमरू केवल वाद्य नहीं, बल्कि सृष्टि की धड़कन है। वे भस्म रमाकर भी सुंदर हैं, क्योंकि उनका सौंदर्य बाहरी नहीं, आंतरिक है। उनका मतवालापन सांसारिक नहीं, बल्कि आत्मिक है — जिसमें भक्ति, करुणा और सृष्टि के रहस्य समाए हैं। जब हम उन्हें स्मरण करते हैं, तो हमारी आत्मा में भी वही दिव्य नाद गूंजता है जो सृष्टि को संचालित करता है।

rajeshswari

निकले हैं भोला , लेकर बरात ,
भूतों की टोली , हैं उनके साथ,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले

शीश पे हैं चंदा और जटा में गंगा की धारा,
कानों में कुंडल हैं और गले में पुष्पों की माला ,
हाथ में , डमरू को, डम डम बजा रहे हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,

आगे आगे ब्रह्मा , संग विष्णु जी के चल रहे हैं ,
पीछे-पीछे देखो , ढोल ताशे मृदंग बज रहे हैं ,
खुश होकर, मस्ती में, डमरु बजा रहे हैं, शिव डमरू वाले ,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,

खिल उठा मन सबका, देख के ये अद्भुत नजारा,
शिव और सती का, आज होगा मिलन ये दुबारा ,
मिलने को, गोरा से, ख़ुद चले आए हैं, शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,

भाव से पूजन या ध्यान विधि

  1. दिन: सोमवार या महाशिवरात्रि का दिन विशेष रूप से उपयुक्त है।
  2. स्थान: घर के मंदिर में या किसी शिवालय में भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें।
  3. सामग्री: दीपक, धूप, बेलपत्र, गंगाजल, पुष्प, फल और भस्म रखें।
  4. प्रारंभ: “ॐ नमः शिवाय” का पाँच बार जप करें।
  5. पूजन: भगवान शिव को जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें।
  6. भजन या ध्यान: शांत मन से “बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले” भजन गाएँ या उनका डमरू रूप ध्यान करें।
  7. समापन: अंत में प्रणाम कर कहें — “हे डमरू वाले भोलेनाथ, मेरे जीवन में भी आपकी लय और आनंद बना रहे।”
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इस भक्ति से मिलने वाले लाभ

  • मन की शांति: भगवान शिव के ध्यान से मानसिक संतुलन और स्थिरता मिलती है।
  • नकारात्मकता का नाश: डमरू की ध्वनि की कल्पना करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • आत्मिक बल: भक्ति से आत्मविश्वास और जीवन की कठिनाइयों से जूझने की शक्ति मिलती है।
  • आनंद का अनुभव: भगवान शिव के मतवाले रूप से भक्ति और प्रसन्नता का भाव बढ़ता है।
  • सफलता और कृपा: भक्त पर शिव की कृपा बरसती है, जिससे जीवन में सुख और सफलता आती है।

निष्कर्ष

बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले यह केवल एक भजन की पंक्ति नहीं, बल्कि उस आनंदमयी चेतना का वर्णन है जिसमें भगवान शिव सदा रमे रहते हैं। उनके डमरू की गूंज हमें यह सिखाती है कि जीवन का असली संगीत तभी सुनाई देता है जब हम मन की चुप्पी में खो जाएँ। जो व्यक्ति भोलेनाथ के इस मतवाले रूप को समझ लेता है, वह जीवन की हर परिस्थिति में निश्चिंत और प्रसन्न रहता है। शिव के डमरू की लय हमें यह स्मरण दिलाती है कि भक्ति, नाद और आनंद — यही सृष्टि का असली सार है।

Shiv murti

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