झुकता सारा संसार बालाजी तेरे चरणों में | शक्ति, भक्ति और करुणा का सर्वोच्च प्रतीक
“झुकता सारा संसार बालाजी तेरे चरणों में” — यह पंक्ति भगवान बालाजी (हनुमान जी) की उस विराट महिमा को प्रकट करती है, जिनके चरणों में देवता, ऋषि, और समस्त मानवता नतमस्तक होती है। हनुमान जी न केवल श्रीराम के भक्त हैं, बल्कि भक्ति, सेवा और निस्वार्थ प्रेम के साक्षात स्वरूप हैं। उनका नाम लेते ही भय मिट जाता है, मन में शक्ति का संचार होता है और जीवन में स्थिरता आती है। यह भाव हमें सिखाता है कि सच्चा सम्मान उन्हीं के चरणों में है जो दूसरों की सेवा और ईश्वर की भक्ति में जीवन समर्पित करते हैं।

भाव से पूजन या स्मरण विधि
- दिन और समय: मंगलवार या शनिवार का दिन पूजन के लिए उत्तम माना गया है।
- स्थान: घर या मंदिर में बालाजी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- पूजन सामग्री: लाल फूल, सिंदूर, गुड़-चना, तुलसी और दीपक रखें।
- प्रारंभ: तीन बार “जय बालाजी महाराज की” कहकर मन को शांत करें।
- भजन या जप: श्रद्धा से “झुकता सारा संसार बालाजी तेरे चरणों में” भजन गाएँ या दोहराएँ।
- भावना रखें: मन में यह अनुभव करें कि स्वयं भगवान बालाजी आपके सामने विराजमान हैं और आप विनम्रता से उनके चरणों में नतमस्तक हैं।
- समापन: अंत में प्रार्थना करें — “हे बालाजी महाराज, मेरे मन को सदा आपके चरणों की शरण में रखो।”
इस भक्ति से मिलने वाले लाभ
- अहंकार का नाश: भक्ति से विनम्रता और करुणा की भावना विकसित होती है।
- संकट निवारण: बालाजी की कृपा से जीवन के सभी संकट और कष्ट दूर होते हैं।
- साहस और विश्वास: आत्मबल और ईश्वर पर विश्वास दृढ़ होता है।
- आंतरिक शांति: मन को स्थिरता और सच्चे सुख का अनुभव होता है।
- भक्ति में प्रगाढ़ता: बालाजी के प्रति प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
निष्कर्ष
“झुकता सारा संसार बालाजी तेरे चरणों में” — यह केवल एक भक्ति पंक्ति नहीं, बल्कि आस्था का शाश्वत सत्य है। जब हम विनम्र होकर बालाजी के चरणों में नमन करते हैं, तो हमारे जीवन का हर बोझ हल्का हो जाता है। उनके चरणों में झुकना आत्मसमर्पण का प्रतीक है, जहाँ अहंकार मिटता है और प्रेम, शांति और शक्ति का उदय होता है। संसार झुकता है उन्हीं के आगे, जिनमें सेवा, करुणा और सच्ची भक्ति का प्रकाश जलता है और वो प्रकाश है बालाजी के चरणों की ज्योति।

