घटने लगा गंगा का जलस्तर घटा

घटने लगा गंगा का जलस्तर घटा

राहत की सांस

वाराणसी (जनवार्ता): पवित्र गंगा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही कमी से  बाढ़ का संकट धीरे-धीरे कम हो रहा है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के राजघाट स्टेशन पर गुरुवार सुबह 4 बजे गंगा का जलस्तर 70.82 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी स्तर (70.262 मीटर) से ऊपर है, लेकिन खतरे के स्तर (71.262 मीटर) से अब भी सुरक्षित दूरी पर है। पिछले कुछ दिनों की भारी बारिश के बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा था, जिसने घाटों को डुबो दिया और शहर के निचले इलाकों में जलभराव पैदा कर दिया था। अब यह 0.5 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से घट रहा है, जिससे स्थानीय प्रशासन और निवासियों ने राहत की सांस ली है।

गंगा का ऐतिहासिक उच्च जलस्तर (एचएफएल) 73.901 मीटर है, लेकिन हाल के दिनों में नदी ने तीसरी बार चेतावनी स्तर पार किया था। 9 सितंबर को जलस्तर 70.83 मीटर तक पहुंच गया था, जिसके कारण दशाश्वमेध, अस्सी, नमो और राजघाट जैसे प्रमुख घाट डूब गए। मंदिरों के शिखर तक पानी भर गया, गंगा आरती छतों पर शिफ्ट हो गई और नाव संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया। मनिकर्णिका घाट पर शवदाह तक सड़कों और छतों पर करना पड़ा। निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोग प्रभावित हुए, जबकि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत कार्यों में जुटी रहीं।

जिला मजिस्ट्रेट ने बताया, “जलस्तर घटने से स्थिति नियंत्रण में आ रही है, लेकिन सतर्कता बरतना जरूरी है। बाढ़ नियंत्रण चौकियां सक्रिय हैं और राहत सामग्री का वितरण जारी है।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 11 सदस्यीय मंत्रिमंडलीय टीम पहले ही प्रभावित जिलों का दौरा कर चुकी है। पूर्वानुमान के अनुसार, अगले 24 घंटों में जलस्तर और 10-15 सेंटीमीटर घट सकता है, लेकिन अप्रत्याशित बारिश की स्थिति में अलर्ट बरकरार रहेगा।

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यह घटना इस मानसून सीजन की तीसरी बाढ़ की लहर है, जो उत्तर प्रदेश के 13 जिलों को प्रभावित कर चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण गंगा का जलस्तर अनियमित रूप से बढ़ रहा है, जिससे वाराणसी जैसे धार्मिक शहरों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। स्थानीय निवासी स्वप्निल निषाद ने कहा, “पानी घटने से अब जीवन पटरी पर लौटेगा, लेकिन घाटों की सफाई और पुनर्वास की जरूरत है।”

प्रशासन ने स्कूलों को बंद रखने और यातायात परिवर्तन जैसे कदम उठाए थे, जो अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। गंगा की स्वच्छता और बाढ़ प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं पर अमल तेज करने की मांग तेज हो गई है।

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